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पोयूपवर्षिणी-टीका सू० ३० अयमोदरिफातपोवर्णनम् भोडत्ति वत्तव्वं सिया। से तं भत्तपाणदव्योमोयरिया । से तं दव्योमोयरिया। से किं तं भावोमोयरिया ?भावोमोयरिया अणेगविहा पण्णत्ता; तं जहा-अप्पकोहे १, अप्पमाणे २, अप्पमाए ३, लेभ्य -एकेनाऽपि प्रासेनोनकमाहारमाहरन् श्रमणो निम्रन्यो नो प्रकामरसभोजी-नात्यन्तभोजनशीलोऽस्तीति वक्तव्यम स्यात , अय भार -किंचिदूनावमोटरिका तपस्या कुर्वन् 'प्रकामभोजी' इति नोच्यते इति । 'से त भत्तपाणदव्योमोयरिया' मैषा भक्तपानद्रव्यावमोदरिका । अत पर भावाऽमोट रिकामाह-'से किंत भावोमोयरिया' अथ का सा भावाऽवमोदरिका ? 'भावोमोयरिया अणेगविहा पण्णत्ता' भावाऽमोटरिका अनेकविधा प्रजप्ता, 'तं जहा' तयथा 'अप्पकोहे' अपक्रोध -क्रोधन क्रोध -कोपमोहनीयोदयसम्पाद्य अक्षमापरिणतिरूप , अन्पगन्दाऽत्र प्रतनुवाचक -तेन अप -स्वप क्रोध --अ-पक्रोध । 'अप्पमाणे निग्रंथ एक कपल भी आहार कम करते हैं वे पकामभोजी नहीं है, अर्थात् जिह्वाइन्द्रिय के विजेता है-ऐसा समझना चाहिये । (से त भत्तपाणदलोमोयरिया) इस प्रकार यहा तक भक्तपानद्रव्यावमोदरिका का कथन किया, अर्थात् इस पूर्वोक्त प्रकार से भक्तपानद्रव्यावमोदरिका का स्वरूप है । (से त दवोमोयरिया) इस प्रकार यह
व्यावमोदरिका का स्वरूप है । यहा से आगे अन भावावमोदरिका का कथन करते है-(से किं त भावोमोयरिया ?) प्रश्न-यह भावावमोदरिका क्या है। कितने प्रकार की है। (भावोमोयरिया अणेगविहा पण्णता) उत्तर-भावावमोदरिका अनेक प्रकार की कही गई है, (त जहा) जैसे-(अप्पकोहे ) अल्पमोध-अक्षमापरिणतिका नाम क्रोध है, अल्पशब्द प्रतनुवाची है, अर्थात् क्रोधकपाय मे अल्पता करना । (अप्पએક કેળિયે પણ આહાર ઓછો કરે તે પ્રકામ નથી, અર્થાત જીભधद्रियना विजेता छ-सभ समापु नये (से त भत्तपाणदव्योमोयरिया) से પ્રકારે અહીં સુધી ભક્તપાનદવ્યાવદરિકાનું કથન કર્યું, અર્થાત્ એ पूर्वरित प्रहारे सतपानद्रव्यापारिनु २१३५ छ (से त व्वोमोयरिया) આ પ્રકારે આ દ્રવ્યાવમોદરિકાનું સ્વરૂપ છે અહિથી આગળ હવે ભાવાपमहरिनु ४थन ४२ छ-(से कि त भावोमोयरिया १) प्रश्न--21 सापावभावरिया शु, रक्षा प्रा२नी उपाय ? (भागोमोयरिया अणेगविहा पण्णत्ता) SuR भावामहरि ध। ४२नी ४उवाय छ (त जहा) भ (अप्पक्कोहे) અલ્પકોધ, અક્ષમા-પરિણતિનું નામ કોધ છે, અ૫ શબ્દ પ્રતનુવાચી छे-मर्थात् डोधायमा अपार (भाछु) २९ (अप्पमाणे अप्पमाए