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अर्थबोधन टीका वर्ग ३ धन्यकुमारवर्णनम्
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तत्र खलु कन्यां नयी भवानाम्नी सार्थवाही परिवमति । सार्थ वहति यः ससार्थवाहः = गणिम-धरिम-मेय- परिच्छेवरूपं क्रयाणकद्रव्यजातं गृहीत्वा लाभार्थन्यदेशं वजन योगक्षेमचिन्तया सार्थपालकः । तत्र गणिमम् = एक द्वित्रिचतुरादिसंख्याक्रमेण गणयित्वा यद्दीयते तत् यथा नालिकेरपृगीफन्ट कदलीफलादिकम् । धरिमम् = तुलायामुत्तोल्य यहीयते तत् यथा त्रीहियचलवणमितादि ।
सेयम् = यत् पलादिना सेटिकादिना हस्तादिना वा मीयते =माप्यते तत्, या दुग्धघृततैलादिकं खादिकं वा । परिन्छेद्यम् = प्रत्यक्षतो निकपादिकपरीक्षया rated तत्, यथा मणिमुक्ताप्रवालादि । तस्य स्त्री सार्थवाही |
उस काकन्दी नगरी में भद्रा नामक एक सार्थवाही रहती थी । सार्थवाही शब्द का अर्थ निम्न प्रकार है:
जो गणिम धरिम सेय और परिच्छेद्य रूप विक्रेय पदार्थो को लेकर विशेष लाभ के लिये दूसरे देशको जाती हो तथा सार्थ(साथ में चलने वाले जन समूह ) के योग क्षेम की चिन्ता करती हो उसे सार्थवाह कहते है । उसकी स्त्री सार्थवाही कहलाती है । गणिम' आदि पदों का अर्थ निम्न प्रकार है
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गणिम उन विक्रेय वस्तुओं को कहते हैं जो एक, दो, तीन आदि संख्या क्रमसे गिन कर दी जाती हो, जैसे-नारियल, सुपारी, केले आदि ।
धरिम उन विक्रेय वस्तुओं को कहते है, जो तराजू (तकडी) अथवा कांटेद्वारा तोलकर दी जाती हों । जैसे- गेहूं, जौ, नमक, शक्कर आदि ।
તે કાકન્દી નગરીમાં ભદ્રા નામે એક સાર્યવાહી રહેતી હતી સાવાડી શબ્દને અર્થ નિચે મુજખ છે.
જે ગણિમ, ધરિમ, મેચ અને પરિચ્છેદ્યરૂપ વિક્રય પદાર્થોં લઈને વિશેષ લાભ માટે ખીજે દેશ જતા હાય તથા સાથે (સાથે ચાલનારા જનસમૂહ) નાં ચેગક્ષેમની ચિન્તા કહ્તા હાય તેને સાથે વાહી કહે છે, તેની સ્ત્રી સાથે વહી કહેવાય છે 'गणिम' माहिषहोना अर्थ निम्न अक्षरे छे'मणिम' से विटेय वस्तु मे કનથી ગણત્રી કરી આપવામા આવે; જેમનાળિયેર, સોપારી, કેળા આદિ 'अरिग'-तेने हे छेत्र घटो मे द्वारा सोस श्री रामय, प्रेमघ, ४, भी, सार, आि
हि भया