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________________ ६ उपासन्दशासूत्रे (१) अणुना=समीपेन भगवदुक्तार्थसामीप्येन योगः = सम्बन्धी यस्य सः अणुयोगः । इह सामीप्य चानुवादस्वरूपम् । - (२) अणुना = स्वल्पेन = स्वल्पाप्रयवेन सूत्रेण वृहतोऽर्थस्य योगोऽणुयोग : । शङ्का — ननु कथ स्वल्पावर न यत्र बृहतोऽर्थस्य समावेशो मन्यते । यत्र हि मञ्जुपायानि त्रादीनि निधीयन्ते न तस्या पत्राद्यपेक्षयाऽणुल युज्यत, इति चेन्मैवम्, समाधानम् - यथा मन्जूपानि हितैकबसनमुपादाय प्रसारितेन तेनैवाऽनेश मञ्जूपा बन्धनीया. परिदृश्यन्ते, कुत. पुनस्तस्या वस्त्रापेक्षया वृहच तथैव सूनापेक्ष से पहले 'अनुयोग' शब्द का सात प्रकारसे व्याख्यान किया है । अब दूसरे 'अणुयोग' शब्द का व्याख्यान करते हैं— (१) भगवत्कथित अर्थ के सामीप्य से योग - जिस का सम्बन्ध हो उसे अणुयोग कहते है । यहाँ सामीप्य का अर्थ अनुवाद है अर्थात् भगवान् ने जो तत्त्व कथन किया है उसी को पुन कहना अणुयोग है । (२) अणु अल्प अवयव वाले ( सक्षिप्त ) सूत्र द्वारा विस्तृत अर्थ योग होजाना अणुयोग है । शङ्का - जिस सन्दूक (पेटी) मे बहुत से वस्त्र आदि पदार्थ रखेजाते है, वह उन पदार्थों से छोटा नही हो सकता । इसी प्रकार जिस सूत्रमे विस्तृत अर्थ भरा हो वह सूत्र कैसे छोटा (संक्षिप्त ) हो सकता है ? । समाधान - ऐसा न कहिए । सन्दूक में रखे हुए एक वस्त्र को बाहर नेमे अनुयोग ने जीले अणुयोग मेभाना पडेला अनुयोग शब्छनु सात પ્રકાર વ્યાખ્યાન કર્યું છે હવે બીજા અનુયોગ શબ્દનુ વ્યાખ્યાન કરીએ છીએ (૧) ભગવાને કહેલા અના સામીપ્યથી યેગ–સ બ ધ) જેને હાય તેને અણુયાગ કહે છે. અહી સામીપ્સ ને અર્થ અનુવાદ છે, અર્થાત્ ભગવાને જે તત્ત્વ કહ્યુ છે તેને પુન કહેવુ ત આડુંવેગ કહેવાય છે 3 (२) आशु - अप अवयववाणा (सक्षिप्त, सूत्र द्वारा विस्तृत अर्थनो योग थवे તે અશુગ છે શકા—જે પેટીમા ઘણુ' વસ્ત્ર આદિ પદાર્થોં નાખવામા આવે છે, તે, તે પદાર્થોથી નાની હાઈ શકતી નથી એ પ્રમાણે જે સૂરમા વિસ્તૃત અર્થ ભર્યાં હાય, તે સૂત देवी रीतेनानो (मक्षिप्त ) हो थे ? સમાધાન—એમ ન કહે. પેટીમા રાખેલા એક વસ્ત્રને બહાર કાઢીને જે
SR No.009331
Book TitleUpasakdashangasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages638
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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