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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ. ४ ०१ परिमाणमेदनिरूपणम्
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'जीवत्थिकाए भंते! पुच्छा' जीवास्तिकायः खलु भदन्त ! पृच्छा ? हे भदन्त ! जीवास्तिकायो द्रव्यार्थतया किं कृतयुग्मः त्र्योजो द्वापरयुग्मः - कल्पोजो वैदि प्रश्न : १ भगवानाह - ' गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'कडजुम्मे' कृतयुग्मः जीवास्तिकायोऽनन्तत्वात् कृतयुग्म एव भवति । 'नो तेओगे-नो दावर'जुम्मे-नो कलिओगे' नो योजरूपो - न वा - द्वापरयुग्मो-न वा - कल्योजरूप इति । 'पोग्गल,स्थिकाए णं पुच्छा ? पुगळास्तिकायः खलु भदन्त ! पृच्छा ? हे भदन्त ! पुद्गलास्तिकायः किं द्रव्यार्थतया कृतयुग्मरूपः, किं वा ज्योजरूपः किं वा - द्वापरयुग्मरूपः ? अथवा - कल्योजरूप इति प्रश्नः ? भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम! सिय कडजुम्में जाव सिय कलिओगे' स्थात्- कदाचित् -
'जीवत्किाए णं भंते ! पुच्छा' हे भदन्त ! जीवास्तिकाय द्रव्यरूप से क्या कृतयुग्मरूप है ? अथवा ज्पोजरूप है ? अथवा द्वापरयुग्मरूप है ? अथवा कल्योजरूप है ? इसके उत्तर रूप में प्रभुश्री श्री गौतमस्वामी से कहते हैं- 'गोयमा' हे गौतम! जीवास्तिकाय अनन्त होने से कृतयुग्मरूप ही है 'नो तेओगे, नो दावरजुम्मे, नो कलिओगे' वह न ज्योज रूप है, न द्वापरयुग्मरूप है और न कल्योजरूप है ।
'पोरगलत्थिकारणं पुच्छा' इस सूत्र द्वारा श्रीगौतमस्वामी ने प्रभुश्री से ऐसा पूछा है - है भदन्त ! पुद्गलास्तिकाय क्या द्रव्यरूप से कृतयुग्मरूप है ? अथवा त्र्योजरूप है ? अथवा द्वापरयुग्मरूप है, अथवा कल्योजरूप है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री श्री गौतमस्वामी से कहते हैं- 'गोपमा' हे गौतम ! ' सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिभोगे' पुद्गलास्तिकाय
'जीवत्थिकाए णं भंते! पुच्छा' हे भगवन् वास्तिाय द्रव्यपयाथी शु કૃતયુગ્મ રૂપ છે ? અથવા ચૈાજ રૂપ છે? અથવા દ્વાપરયુગ્મ રૂપ છે? અથવા કલ્ચાજ રૂપ છે ?
या प्रश्नना उत्तरभां प्रभुश्री गौतमस्वाभीने हे छे - 'गोयमा !' डे गौतम ! वास्तिप्रय अनंत होवाथी कृतयुग्भ ३५ ४ छे. 'नो तेओगे, नो दावरजुम्मे, नो कलिलोगे' ते ३५ नथी, तथा द्वापरयुग्भ ३५ प નથી. તેમ કલ્ચાજ રૂપ પશુ નથી.
'पोग्गलत्थिकाए ण पुच्छा' या सूत्रपाठथी श्री गौतमस्वाभीगे प्रभुश्रीने खे પૂછ્યું છે કે હે કૃપાસિન્ધુ ભગવન્ પુદ્ગલાસ્તિકાય દ્રવ્યપણાથી શું કૃતયુગ્મ રૂપ છે ? અથવા ચૈજ રૂપ છે ? કે દ્વાપરયુગ્મ છે ? અથવા કલ્યાજ રૂપ છે ? या प्रश्नना उत्तरमां अनुश्री गौतमस्वाभीने हे छे - 'गोयमा ! हे गौतम! 'सिय कइजुम्मे जाव सिय कलिओगे' युद्धसास्तिप्रय व्ययाथी द्रुतयुग्भ य
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