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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१८ उ०६ सू०१ सचेतनामचेतनानामनेकस्वभावत्वम् ७१ तत्र पञ्चवर्णपश्चरसद्विगन्धा अपि तिष्ठन्त्येव । 'छारिया णं भंते ! पुच्छा' क्षारिका खल भदन्त ! पृच्छा क्षारिका भस्म हे भदन्त ! क्षारिका कतिवर्णा कतिगन्धा कतिरसा कतिस्पी ? इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा !' इत्यादि । 'गोयमा !' हे गौतम ! 'एस्थ दो नया भवंति' अत्र द्वौ नयौ भवतः, 'तं जहा' तद्यथा 'निच्छइयनए य चवहारियनए य नैश्चयिकनयश्व व्यावहारिकनयश्च 'ववहारियस्स लुक्खा छारिया' व्यवहारनयस्य मतेन रूक्षा क्षारिका निश्चयनयस्य मतेन पश्चवर्णा यावत् अष्टस्पीः प्रज्ञता, व्यवहारनयमतेन तु भस्मनि रूक्ष एच स्पर्शः निश्चयनयमतेन तु सर्वेऽपि स्पर्शाः भस्मनि वर्तन्ते पश्चापि वर्णाः द्वावपिगन्धा अष्टापि स्पर्शाः भवन्त्येव इति यावत्पदेन विज्ञेयम् ॥ १॥ और व्यवहारनयकी अपेक्षा से वह पांच रसोवाला पांचवर्णों वाला दो गंधवाला और आठ स्पर्शवाला माना गया है। अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं । 'छारिया णं भंते ! पुच्छा' हे भदन्त । क्षारिका राख कितने वर्णवाली है, कितने गंधवाली है, कितने रसोंवाली है और कितने स्पर्शवाली है। उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा ! एत्थ.' है गौतम ! इस विषय का विचार करने के लिये दो नय कहे गये हैं। एक निश्चय नय और दूसरा व्यवहारनय व्यवहारनय की अपेक्षा से 'लुक्खा छारिया' राख-भस्म रूक्षस्पर्शवाली है और निश्चयनय की अपेक्षा से वह 'पंचवन्ना जाव अट्टफासा' पांचो वर्णवाली है यावत्-पांचों रल. वाली है दो गंधवाली और आठ स्पर्शवाली है ॥ १ ॥ અને વ્યવહારનયના મંતવ્યાનુસાર તે પાંચ વર્ણવાળું પાંચ રસવાળું, બે ગંધવાળું અને આઠ સ્પર્શવાળું માનેલ છે. व गौतम स्वामी प्रभुने श पूछे छे ४-'जारिया णं भंते ! पुच्छा" હે ભગવન ક્ષારિકા–રાખ કેટલા વર્ણવાળી છે? કેટલા ગધવાળી છે? કેટલા રસવાળી અને કેટલા સ્પર્શવાળી છે? તેના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે – "गोयमा ! एत्य०" गीतम मा विषयमा विया२ ४२५भाट निश्चयनय અને વ્યવહારનય એ બે નયને આશ્રય લેવામાં આવે છે. વ્યવહારનયના मत प्रमाणे "लुकखा छारिया" राम-सभ३६ २५शवाजी छ भने निश्चय नयना मत प्रमाणे "वंच वन्ना-जाव अट्टफासा" पायqाजी. यावत् पांय રસવાળી બે ગંધવાળી અને આઠે સ્પર્શવાળી છે, સૂ. ૧
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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