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________________ भगवती जीवद्रव्यरूपा अजीवद्रव्यरूपाश्च तेषु केचन जीवानाम् उपभोगाय भवन्ति केचन न भवन्तीतिमाः । पुनः प्रश्नयति 'से केणटेणं भंते ! एवं वुच पाणाइवाए जाव नो हममागच्छंति' तत् केनार्थेन भदन्त । एवमुच्यते प्राणातिपातो यावत् नो हव्यमागच्छन्ति, अत्र यावत् पदेन उत्तरवाक्यं सर्वमेव परिगृहीतं भवति हे भदन्त ! केन कारणेन एवं कथयसि यत् प्राणातिपातादिकलेवरान्तेषु जीवाजीवद्रव्येषु मध्यात् कियन्ति अभोगाय भवन्ति कियन्ति उपभोगाय न भवन्तीति द्वितीय प्रश्नाशयः । भगवानाह-'गोयमा !' इत्यादि । 'गोयमा !' हे गौतम ! 'पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले पुढवीकाइए जाव वणस्सइकाइए सम्वे य बायरवोंदिधरा कलेवरा एए णं दुविहा जीवदव्या य अजीवदवा य जीवाणं परिभोगत्ताए का यह है कि प्राणातिपात से लेकर कलेवरान्त तक के जो ये जीव अजीवरूप द्रव्य हैं। उन द्रव्यों में से कितनेक जीव अजीव द्रव्य जीवों के उपभोग के लिये होते हैं और कितनेक जीवों के उपभोग के लिये नहीं होते हैं। ____अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'से केगडेणं भंते ! एवं वुच्चइ पाणाइवाए जाव नो हव्यमागच्छति' हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि प्राणातिपात आदि से लेकर कलेवरान्त तक के जो ये जीव अजीबरूप द्रव्य हैं उनमें से कितनेक जीव अजीव द्रव्य जीवों के उपभोग के लिये होते हैं और कितनेक जीवों के उपभोग के लिये नहीं होते हैं? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं । 'गोयमा' हे गौतम ! 'पाणाहवाए जाव मिच्छादसणसल्ले पुढवीकाइए जोव वणજીના પરિભેગના કામમાં આવતા નથી. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કેપ્રાણાતિપાતથી લઈને શરીર સુધીના જે આ જીવ અજીવ દ્રવ્ય છે, તે દ્ર માંથી કેટલાક જીવ અજીવ દ્રવ્ય જીના ઉપગ માટે હોય છે, અને કેટલાક જીવોના ઉપભેગમાં આવતા નથી. शथी गौतम स्वामी प्रभुने मे छे छे -"से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ पाणाइवाए जाव नो हबमागच्छंति" उ समवन् मा५ मे शारथी કહે છે કે–પ્રાણાતિપાતથી આરંભીને શરીર સુધીના જે આ જીવ અને અજીવ દ્રવ્ય છે, તે પૈકીના કેટલાક જીવ અજીવ દ્રવ્ય જીના ઉપભોગ માટે હોય છે, અને કેટલાક જીવોના ઉપગ માટે હોતા નથી ?આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभु ४ छ -"गोयमा ! 3 गीतमा “पाणाइवाए जाव मिच्छादसण
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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