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पांचवां उद्देशा-.
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४७८-४८५
तीसरा उद्देशा३९ जीवों के एजनापन का निरूपण
४२१-४३५ ४०" एजनाविशेष चलना के स्वरूप का निरूपण. . . .४३६-४४६ ४१ संवेग आदि धर्मों का निरूपण
४४७-४५३ ... चतुर्थ उद्देशा- . ४२ माणातिपात आदि क्रिया का निरूपण
४५४-४७० ४३ आत्मकृत आदि दुःखके कारणों का निरूपण ४७१-४७७ ४४ ईशानेन्द्र की वक्तव्यता
छठा उद्देशा- ... । ।।. ४५ सौधर्मादि कल्पादिको में पृथ्वीकायिक ....... .....
...जीवों की उत्पत्तिका निरूपण ४८६-४९९
सातवां उद्देशा- . . . . . . •॥ ४६ रत्नप्रभादि पृथ्वीमें पृथ्वीकायिकों की उत्पत्तिका निरूपण ५००-५०३
आठ उद्देशा४७ सौधर्मादि कल्पमें अप्कायिक जीवों .... .. के उपपात-उत्पत्ति का निरूपण ५१४-५०७ . .
. नववां. उद्देशा.- . . ... ... ४८ रत्नप्रभादि पृथ्वीमें अप्कायिक जीवों की उत्पत्तिका निरूपण ५०८-५११
. दशवां उद्देशा- । .. ... ४९ सौधर्मादिकल्प में वायुकायिक जीवों की उत्पत्तिका निरूपण ५१२-५१६
. . , ग्यारहवां उद्देशा- : .. ५०, रत्नप्रभादि पृथ्वीमें वायुकायिक जीवों की उत्पत्तिका निरूपण ५१७-५२०
। वारहवां उद्देशा--.' ५१ एकेन्द्रिय जीवों के आहार आदिका निरूपण ५२१-५२७
तेरहवां उद्देशा-- . ५२ नागकुमारों के आहार आदिका निरूपण . ५२८-५२९
___ चौदहवां उद्देशा५३ विद्युन्कुमारों के आहार आदिका निरूपण ' ' ५३०-५३१
पन्द्रहवां उद्देशा-- - ५४ विद्युतत्कुमारों के आहार आदिका निरूपण ५३२-५३३