SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१५-५१६ ५१६-५६० ५६१-. ५६१-५६२ ५६३-५६४ ५६५-५६६ ५६६-५८१ दूसरा उद्देशा ४० तेरहवें शतक के दूसरे उद्देशे का संक्षिप्त विषयविवरण ४१ देव विशेष क निरूपण . तीसरा उद्देशा ४२ तीसरे उद्देशे का संक्षिप्त विषय विवरण ४३ परिचारण का कथन चौथा उद्दशा ४४ चौथे उद्देशे का संक्षिप्त विषय विवरण ४५ चौथे उद्देशे की संग्रहार्थ गाथा ४६ नारक पृथ्वीसंबंधी कथन ४७ स्पर्शद्वार का कथन (नरकों में वादर अप्कायिक स्पर्श भी देवकृत ही समझना चाहिये) ४८ रत्नपभादिमणिधि (अपेक्षा) द्वार का निरूपण ४९ निरयान्तद्वार का निरूपण ५० लोकमध्यद्वार का निरूपण ५१ दिग विदिक प्रबहद्वार का निरूपण ५२ परिवर्तनद्वार का निरूपणम् ५३ स्पर्शनाद्वार का निरूपण ५४ द्विपदेशादि पुद्गलास्तिकाय स्पर्शनाद्वार का निरूपण ५५ अवगाहनाद्वार का निरूपण ५६ जीवावगाढद्वार का निरूपण ५७ अस्तिकायप्रदेश निषदनद्वार का निरूपण ५८ वहुसमद्वार का निरूपण ५९ लोकसंस्थानद्वार का निरूपण पांचवां उद्देशा ६० नैरयिकों के आहार का निरूपण ५८१-५८४ ५८५-५८७ ५८८-५८९ ५८९-५९५ ५९६-६०४ ६०४-६१३ ६१३-६३२ ६३२-६७० ६७१-६९९ ६९९-७०४ ७०४-७१० ७१०-७१३ ७१४-७१७ ७१८-७२० समाप्त
SR No.009320
Book TitleBhagwati Sutra Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages743
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy