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प्रेमैचन्द्रिका टीका श० १२० १०सू० ३ रत्नप्रभादिविशेषनिरूपणम् वपज्जवे देसा आइट्ठा असम्भावपज्जवा देते आइट्टे तदुभयपज्जवे च उप्पए लिए खंधे आयाय नो आयाओय अवत्तवं आयाइय नो आयाइय१८, देसा आइट्ठा सम्भावपज्जवा, देसे आइट्टे असम्भावपज्जवे, देसे आइट्टे तदुभयपजवे चउप्पएसिए खंधे आयाओ य नो आया य अवत्तवं आयाइय नो आयाइय १९ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चह चउप्पएसिए खंधे सिय आया, सिय नो आया, सिय अवत्तवं निक्खेव ते चैव भंगा उच्चारेयवा जाव नो आयाइय |
आया भंते! पंच पएसिए खंधे अन्न पंच पएसिए खंधे ? गोयमा ! पंचपए लिए खंधे सिय आया, सिय नो आया २, सिय अवत्तवं आयाइय नो आयाइयर, लिय आयाय नो आया य४, सिय आया य अवत्तवेण य४, नो आयाय अवत्तद्वेण य( ४१२ + ३ = १५) तियगसंजोगे एको ण पडइ७ (२२) से केणणं भंते! तं चैव पडिउच्चारेयां ? गोथमा ! अप्पणो आइट्टे आया, परस्स आइट्टे नो आयार, तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तवंश, देसे आइट्टे सम्भावपज्जये देसे आइट्टे असब्भावपज्जवे, एवं दुयसंजोगे सबे पति, तियगसंजोगे एक्कोण पडइ । छप्पएसिए सवे पडंति, जहा छप्पएसिए, एवं जाव अनंतपएसिए, सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥ सू०३ ॥
दसमो उद्देसो समत्तो- बारसमं सयं समत्तं ॥