________________
प्रमैयचन्द्रिका टीका श०९ ७०३२सुं०३ भवान्तरप्रवेशनकनिरूपणम्
___ भवान्तरप्रवेशनकवक्तव्यता। अथोवृत्तानां च केपांचित् गत्यन्तरे प्रवेशो भवति अतो गत्यन्तरप्रवेशनक प्ररूपयितुमाह-'कइविहे णं भंते ! इत्यादि ।
मूलम्-कइविहे गं भंते! पवेलणए पण्णते ? गंगेया ! चउविहे पवेसणए पण्णत्ते, तं जहा--नेरइयपवेसणए, तिरियजोणियपवेसणए, मणुल्सपवेसणए, देवपवेसणए । नेरइयपवेलणए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गंगेया! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा-रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए । एगे णं भंते ! नेरइए लेरड्यपवेसण. एणं पविसमाणे किं स्यणप्पभाए होज्जा, सकरप्पभाए होजा, जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । दोभंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए होजा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे सकरप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे बालुयप्पभाए होज्जा जाव एगे रयणप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए होज्जा, जाव--अहवा एगे सकर. प्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वाल्लयप्पभाए एगे पंझप्पभाए होज्जा, एवं जाव--अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, एवं एकोका पुढवी छड्डयन्वा, जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । तिन्नि