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प्रमेयन्द्रिका टीका शं० ८ उ.१० सू.४ पुद्गलास्तिकायस्वरूपनिरूपणम् ४१६
टीका-'एगे भंते ! पोग्गलत्थिकायप्पएसे किं दव्यं १?' गौतमः पृच्छतिहे भदन्त ! एकः पुद्गलास्तिकायप्रदेशः पुद्गलास्तिकायस्य एकाणुकादिपुद्गलराशेः प्रदेशः-निरंशोऽगः पुद्गलास्तिकायप्रदेशः परमाणुरूपः किं द्रव्यम्-गुणपर्याययोगि वर्तते ? 'किं वा-'दबदेसे २, दवाइं ३, दबदेसा ४,' द्रव्यदेशो द्रव्यावयवो वर्तते, अथवा द्रव्यपदेशा वा ? वर्तते, इत्येवमे फत्ववहुस्वाभ्यां चत्वारः प्रत्येक विकल्पा भवन्ति, एवं द्विकसंयोगेऽपि चतुरो विकल्पान प्रश्नयति- उदाहु दव्यं च दबदेसे य ५' उताहो अथवा उक्तपरमाणुरूपः पुद्गलास्तिकायपदेशः किं इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-(एगे भंते ! पोग्गलस्थिकायप्पएसे किं व्वं ) हे भदन्त ! पुद्गलास्तिकाय का एक प्रदेश-एक परमाणु आदि वाली पुगलराशिका-निरंश अंश रूप एक प्रदेश एक पुद्गल परमाणु-क्या द्रव्यरूप है-गुणपर्यायवाला है। "गुण पर्यायवद्व्य म्" ऐसा द्रव्य का लक्षण है अतः जिसमें गुण और पर्याय पाये जाते हैं वह द्रव्य है सो क्या पुद्गलास्तिकाय का एक परमाणुरूप प्रदेश द्रव्यरूप है ? या "व्व देसे २" द्रव्य का एक अवयवरूप है ? ( दवाई) दबदेसा" या वह अनेक द्रव्यरूप है ? या द्रव्य के अनेक अवयवरूप है ? इस तरह से एकत्व को लेकर २ विकल्प और अनेकत्व को लेकर २ विकल्प इस प्रकार ये ४ विकल्प यहां किये गये हैं। इनमें से द्विक संयोग को लेकर अब और ४ विकल्प इस प्रकार से पूछे गये हैं-क्या वह पुद्गलास्तिकाय का एक प्रदेश (उदाहु दव्व व्वदेसे य ) एक द्रव्यरूप भी है-गुणपर्यामनुसाक्षीन गौतम स्वामी महावीर प्रसुन मेवे प्रश्न छ ४-(एगे भते ! पोग्गलत्थिकायपएसे कि दव) महन्त ! युद्धरास्तियन। म प्रश-मे પરમાણુ આદિવાળી પુદ્ગલ રાશિના નિરંશ અંશરૂપ એક પ્રદેશ—એક પુદ્રલ ५२मा-शुद्र०य३५ छ ( गुण पर्यायवाणी छे) ? "गुणपर्यायवद्दव्यम्'' मा પ્રકારનું દ્રવ્યનું લક્ષણ છે. જેમાં ગુણ અને પર્યાયને સદ્ભાવ હોય છે, તેને દ્રવ્ય કહે છે. અહી એવો પ્રશ્ન પૂછવામાં આવ્યો છે કે “શુ પુલાસ્તિકાયને मे ५२मा ३५ प्रदेश द्रव्य३५ छ ? है " व्वदेसे" द्रव्यना मे अवयव ३५ छे १ ' " दवाई, दबदेसा ?" “ भने द्र०३३५ छ ? ' है 'ते દ્રવ્યના અનેક અવયવરૂપ છે ?” આ પ્રમાણે એકત્વની અપેક્ષાએ બે વિકલ્પ અને અનેકત્વની અપેક્ષાએ બે વિકલ્પ મળીને ચાર વિકલ્પ બન્યા છે હવે કિક સંગની અપેક્ષાએ જે ચાર વિકલ૫ થાય છે, તેમને વિષે આ પ્રમાણે प्रश्नो ५७पामा भावे छे-“शु ते पुनसास्तियन मे प्रदेश “ उदाहु दव्व' दुव्वदेसे य !" मे द्रव्य३५ ५५ छ ( गुडूपर्यायया छ) मने द्रव्यना