________________
भंगपती रिणामः, एवमन्येऽपि बोध्याः । गौतमः पृच्छति-चनपरिणाम णं भंते ! कविहे पण्णते ? हे भदन्त ! वर्णपरिणामः खलु कतिविधः प्रक्षप्तः ? भगवानाद-गोयमा। पंचविहे पण्णत्ते ' हे गौतम ! वर्णपरिणामः खलु पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, ' तंजहाकालवन्तपरिणामे जाय सुकिल्लवन्नपरिणामे' तद्यथा-कालवर्णपरिणामः १, यावत् नीलवर्णपरिणामः २, लोहितवर्णपरिणामः ३, हरिद्रावर्णपरिणामः ४, शुक्ल वर्णपरिणामश्च, ५ ' एवं एएणं अभिलावेणं गंधपरिणामे दुबिहे, सपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे अहविहे ' एवमुक्तरीत्या एतेन वर्णविषयकामिलापेन आला.
___अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-( बन्नपरिणामे गं भंते ! कविहे पण्णत्ते) हे अदन्त ! वर्णपरिणाम कितने प्रकारका कहा गया है ? उत्तरमें प्रभु कहते हैं-(पंचविहे पण्णसे) हे गौतम ! वर्णपरिणाम पांच प्रकार का कहा गया है (तं जहा) ने इस तरह से है-(कालवनपरिणामे जाव सुकिल्लचनपरिणामे ) कालवर्णपरिणाम, यावत्-नीलवर्णपरिणाम, लोहित (लाल) वर्णपरिणाम, हरिद्रावर्णपरिणाम और शुक्लवर्णपरिणाम-(एवं एएणं अलिलावेणं गंधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे अविहे) उत्तरीलिके अनुसार इस वर्णविषयक अभिलाप-आलाप कम से गंध परिणाम दो प्रकार का कहा गया है, और वह सुरलि और दुरभि के भेद से दो प्रकार का होता है। तिक्त, कटु, कषाय, अम्ल, और मधुर के भेद से रसपरिणाम पांच प्रकार का कहा गया है। कर्कश, ऋतु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष के भेद से स्पर्शपरिणाम आठ प्रकार का कहा गया है।।
गौतम स्वामी प्रल-" वनपरिणामेणं भते ! काविहे पण्णत्ते १" 3 ભદન્ત ! વર્ણપરિણામના કેટલા પ્રકાર કહ્યા છે?
महावीर प्रभुने। उत्तर-(गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते-तंजहा ) ५२ मना नीचे प्रमाणे पांय ४१२ ह्या छ-( कालवनपरिणामे जाव सुफिल्लवन्नपरिणामे ) (1) श्याम परिणाम, (२) नाaqey परिणाम, (3) सासव परिणाम, (४) रिद्र। (पाणी) व परिणाम आने (५) शुसवणु परियाभ. " एवं ऐ एणं अभिलावेणं गंधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पचविहे, फासपरिणामे अविहे" मा पशु विषय४ मिसा५ (प्रश्नोत्तरी) ना थी परिणाम में પ્રકારનું કહ્યું છે-(૧) સુરભિગંધ અને (૨) દુરભિગંધ રસપરિણામનાં નીચે प्रमाणे पाय छ-तीमा, ४३, पायदा (तु), पाटो भने मधु२.