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भगवतीने गौतम ! बन्धको, नो अवन्धकः, यदि बन्धकः किं देशवन्धकः, सर्ववन्धकः ? गौतम ! देशबन्धकः, नो सर्वबन्धकः, यस्य खलु भदन्त ! कार्मणशरीरस्य देशवन्धः, स खलु भदन्त ! औदारिकशरीरस्य यथा तैजसस्य वक्तव्यता भणिता तथा कार्मणस्यापि भणितव्या यावत् तजसशरीरस्य यावत्-देशवन्धको नो सर्ववन्धकः ॥ मू० १०॥
हे गौतम ! ( एवं चेव, एवं आहारगसरीरस्ल वि ) तैजम शरीर का देशबंधक जीव वैक्रियशरीर का देशबंधक होता है ? सबंधक नहींइस तरह से पहिले जैसा कथन जानना चाहिये । इस तरह से तैजस शरीर का देशबंधक जीव आहारक शरीर का भी देशबंधक ही होना है। (कस्मगसरीरस्स कि बंधए अबंधए) हे भदन्त ! तजस शरीर का देशबंधक जीव कार्मणशरीर का बंधक होता है या अबंधक होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! ( वधए, नो अवधए ) तेजसशरीर का देशबंधक जीव कार्मण शरीर का बंधक होता है अबंध नहीं। (जइ वंधए कि देसवंधए सव्यबंधए ) यदि वह कार्मणशरीर का बंधक होता है तो क्या वह उसका देशबंधक होता है या सर्वबंधक होता है ? (गोयमा) हे गौतम! वह उसका (देसवंधए नो सव्वबंधए) देशबंधक होता है, सर्चधक नहीं होता है। (जस्स णं मंते ! कम्मगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालिगमरीरस्स) हे अदन्त ! जिस जीवके कार्मणशरीरका देशबंध होता है, वह जीव क्या औदारिक शरीर का वधक होता है, રને દેશબંધક પણ હોય છે અને સર્વબંધક પણ હોય છે. એ જ પ્રમાણે તેજસ શરીરને દેશબંધક જીવ આહારક શરીરને દેશબંધક પણ હોય છે समय पशु डाय छे. (कम्मगसरीरस्त कि बधए, अब वर १ ) मन्त! स શરીરને દેશબંધક જીવ શું કામણશરીરને બંધક હોય છે કે અMધક હોય છે? (गोयमा!) गौतम ! (वधए नो अबंधए) सशरीरन देशम श . २२नाम जय छ, म त नथी. (जइ बधए कि देसव वए सव्वव धए ?) महन्त ! न त मय शरीरने। मध डाय तो शु ता देशमध हाय छ, समय हाय छ ? (गोयमा ! ) गौतम! ( देसबंधए नो सवय धए ) ते तेन शमध४ ४ डाय छ, समय डात नथी.
(जस्सण भंते ! कम्मगसरीरस्स देसव'धे से णं भते ! ओरालियसरीरस्त ?) હે ભદન્ત ! કાશ્મણ શરીરને દેશબંધક જીવ શું દારિક શરીરને બંધક