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प्रमेयचन्द्रिका टोका श.८ उ.३ म. १ वृक्षविशेषनिरूपणम्
५४ 'तत कि ते संख्येयजीविकाः ? संख्ये यजीविकाः अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः तद्यथा -तालः, तमालः, तक्कलिः, तेतलिः, यथा प्रज्ञापनाया यावत् नारिकेरिः, ये चाप्यन्ये तथाप्रकाराः, तदेतत् संख्येयजीविकाः, तत् किंते असंख्येयजोविकाः. अस ख्येयजीविकाः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, नघया एकास्थिकाच, वह स्थिकाच, तत् किं ने एकास्थिकाः ? एकास्थिकाः अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, जीविया, असंखेजजीविया, अणंतजीविया) संख्यात जीववाले असंख्योत जीववाले और अनन्त जीववाले (से किं तं संखेजजीविया) हे भदन्त! सख्यात जीववाले वृक्ष कितने प्रकार के कहे गये हैं ? (सखेजजीवियाअणेगविहा पण्णत्ता) हे गौतम! संख्यात जीववाले वृक्ष अनेक प्रकार के कहे गये हैं। (तंजहा) जो इस तरहसे हैं (ताले, तमाले, तक्कलि, तेतलि, जहा पन्नवणाए जाव नालिएरी जे यावन्ने तहप्पगारा -सेत्त संखेजजीविया) नाड, तमाल, तकलि, तेतलि आदि वृक्ष जैसे कि नलियेरी तक प्रज्ञापना सूत्र में कहे गये हैं। इनके सिवाय इग्नी प्रकार के और भी वृक्ष सख्यात जीव वाले जानना चाहिये । इस तरह ये संख्यात जीववाले वृक्ष हैं । (ले किं तं असखेजजीविया) हेभदन्त! असंख्यात जीववाले वृक्ष कितने प्रकारके कहे गये हैं ? (असंखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता) हे गौतम! असंख्यात जीववाले वृक्ष दो प्रकारके कहे गये हैं । (तंजहा) जैसे (एगहियाय बहुधीयाय) एक बीजवाले
और वहुवीजवाले । (से किं तं एगठिया य) हे भदन्त ! एक घीजबाले ५२ ' तं जहा' रे सा प्रभार छ 'संखेज्जजीविया, असंखेज्जजीविया, अणंतजीविया' से ज्यात पणा सस स्यात् वाणा भने मनन्त वा 'से कि तं संखेज्जजीविया लगवन् सध्यात जागा वृक्ष zal Rना ४सा छे? संखेज्जजीरिया अणेगविहा पण्णत्ता' गौतम ! सध्यात व वृक्ष मने प्रारना ४६॥ छ ' तं जहाभ 'ताले, तमाले, तकलि, तेतलि जहा पनवणाए जाव नालिएरी जे यावन्ने तहप्पगारा - सेत्तं संखेज्जजीविया' તાડ, તમાલ, તકલિ, તેતળી, આદિ ઝાડ જેવાકે નાળિયેરી સુધીના પ્રજ્ઞાપના સૂત્રમાં કહેલાં છે તે સિવાય આ પ્રકારના બીજા પણ ઝાડ સખાત્ જીવવાળા જાવા જોઇએ भावी रीत मा सण्यात वाणा [१क्ष ] छे.' से किं तं असंखेन्जजीविया,
मान्त ! असभ्यात् ॥ वृक्ष 241 VIRना हेवाय छे ? 'असंखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता' गौतम ! मसच्यात् ॥ वृक्ष ना ४सो छ 'तं जहा' वा 'एगट्ठिया य बहुचीयाय' मी/वाणा भने मgvilarati से कि त एगडिया य 'महन्त ! मे मीपणा 3 21 प्रा२ना हाय छ !
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