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________________ १२० १०८ चयादिका कथन ५१६-५१७ सातवें स्थानका प्रारम्भ१०९ सातवें स्थानका विषयविवरण ५१८११० .. सात प्रकारके गणोंके अपक्रमण-निकलनेका निरूपण ५१९-५२६ १११ सात प्रकार के विभङ्गज्ञानका निरूपण ५२६-५४३ ११२ सात प्रकार के जीवोंका निरूपण ५४३-५४८ ११३ संग्रहके स्थानोंका निरूपण ५४८-५५३ ११४ , पिंडैषणाका निरूपण ५५४-५६४ ११५ सात प्रकारकी पृथ्वीयोंके स्वरूपका कथन ५६४-५६९ ११६ बादर वायुकाय के स्वरूपका कथन ५६९-५७० ११७ सात प्रकारके भयस्थानोंका निरूपण ५७१-५७२ ११८ छ छद्मस्थौको जाननेका निरूपण ५७३-५७५ ११९ केवलीयों को जाननेका कथन ५७५ सात प्रकारके मूलगोत्रका निरूपण ५७६-५७९ सात प्रकारका मूलनयका निरूपण ५८०-६०३ १२२ सात प्रकारके स्वरोका निरूपण .६०३-६३६ - लोकोत्तर कायक्लेशोंका निरूपण ६३६-६३८ १२४ मनुष्यलोक और वर्षधर पर्वतों का निरूपण ६३९-६४३ १२५ कुलकर आदिका निरूपण ६४३-६४७ १२६ दण्डनीतिका निरूपण ६४८-६५१ १२७ चक्रवर्ती राजाके एकेन्द्रिय पंचेन्द्रियवाले रत्नों का निरूपण ६५१-६५३ १२८ दुष्पम-सुपम काल ज्ञानका कथन ६५३-६५९ १२९ सात प्रकारके आयुष्यके भेदोंका कथन ६६०-६६१ १३० मल्लीनाथ भगवान्का वर्णन ६६२-६६५ १३१ दर्शनके स्वरूपका निरूपण ६६६-६६७ १३२ छद्मस्थावस्थासे प्रतिवद्ध सूत्रका कथन ६६७-६७० १३३ सात प्रकारकी विकथाओं का निरूपण ६७०-६७४ १३४ आचार्य के सातिशयपनेका निरूपण ६७४-६७७ १२१ १२३
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
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