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________________ N ८४ . ममाद विशिष्ट प्रत्युपेक्षणाका नि पण लेश्याके स्वरूपका कथन देवमूत्रका कथन दिवकुमार्यादिकोका निरूपण धरणेन्द्रादिकोंका सामानिक साहबीका निरूपण विशिष्ट मतिवाले देवोकी गति के भेदका निरूपण तपके भेदोका निरूपण विवादके स्वरूपका निरूपण क्षुद्रप्राणियों के स्वरूपका निरूपण छह प्रकारकी गोचरचर्याका निरूपण असाधुचर्या के फलभोगनेवालौकी गतिका निरूपण साधुचर्या के फल भोगनेवालेका निरूपण नक्षत्रों के स्वरूपका निरूपण संयम और असंयमके स्वरूपका निरूपण मनुष्य क्षेत्रमें रही हुई वस्तुका निरूपण कालविशेषका निरूपण ज्ञानके स्वरूपका निरूपण अवधिज्ञानके स्वरूपका वर्णन ज्ञानि के अवचन-नही कहने योग्यका निरूपण अवचनमें प्रायश्चित्तका कथन कल्प विषयका निरूपण कल्पस्थितिका निरूपण महावीरस्वामी संवधी कथन देवके संबंधी निरूपण अहारका परिणाम और विपरिणामका निरूपण छह प्रकारके प्रश्नका निरूपण इन्द्र के अनादिपनेका निरूपण भेद सहित आयुवन्धका निरूपण औदयिक विगैरह भावों का निरूपण छ प्रकारका मतिक्रमणका निरूपण ३६१-३६७ ३६७-३६९ ३६०-३७० ३७०-३७३ ३७३३७४-३८७ ३८७-३९३ ३९२-३०५ ३९५-३०७ ३०७-४०० ४०१-४८२ ४०२-४०४ २०४-४१० ४१०-४१२ ४१२-४१८ ४१८-४२१ ४२१-४२४ ४२४-४२७ ४२७-४२९ ४२९-४५१ ४५२-४६० ४६१-४७१ ४७१-४७२ ४७३ ४७४-४७७ ४७७-४८० ४८१-४८४ ४८५-४९४ ४९५-५११ ५११-५१५ ९६ ९७ १०० १०१ १०२ १०३ १०४ १०६ १०७
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
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