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________________ ३२६ स्थानान सूत्रे ठियलेसे, संकिलिट्टलेसे पज्जवजायलेसे |२| पंडियमरणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-ठियलेसे, असंकिलिहलेसे, पज्जवजायलेसे |३| बालपंडियमरणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-ठियलेसे, असंकिलिइलेसे अपज्जवजायलेसे । ४ ॥ सू० ८९ ॥ छाया - त्रिविधं मरणं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-वालसरणं, पंडितमरणं, वालपण्डितमरणम् । १ । बालमरणं त्रिविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा - स्थितलेश्यं संक्लिप्टलेश्य, पर्यत्रजातलेश्यम् । २ । पण्डितमरणं त्रिविधं प्रज्ञप्तं, तत्रथा - स्थितलेयं, असं क्लिष्ट लेश्यम् पर्यवजातलेश्यम् । ३ । वालपण्डितमरणं त्रिविध प्रज्ञप्तं, तद्यथा-स्थितलेश्यं, असं क्लिष्टलेइयं, अपर्यवजातलेश्यम् ४ ॥ ० ८९ ।। अब सूत्रकार लेश्या वर्णनके बाद मरण का निरूपण करते हैं। क्यों कि-मरण लेश्या विशिष्ट ही होता है " तिविहे मरणे पण्णत्ते " इत्यादि, सूत्रार्थ - मरण तीन प्रकारका कहा गया है जैसे बाल मरण, पण्डित मरण, और बालपण्डित मरण, १ इनमें बालमरण भी तीन प्रकार का कहा गया है, जैसे स्थितिलेश्य, संक्लिष्टलेय, और पर्यवजातलेश्य २ पण्डितमरण भी तीन प्रकार का होता है, जैसे स्थितिलेइय, असंक्लिष्ट लेश्य, और पर्यवजातलेश्य । बालपण्डित मरण भी तीन प्रकार का कहा गया है, स्थितिले असंक्लिष्टलेश्य और अपर्यवजात लेश्य | લેશ્યાઓનું નિરૂપણ કરીને હવે સૂત્રકાર મરજીનુ નિરૂપણ કરે છે. મરણુ લેશ્યાવિશિષ્ટ જ હાય છે, આ સબધને અનુલક્ષીને લેશ્માનુ નિરૂપણુ કર્યાં ખાદ હવે મરણનુ નિરૂપણુ ચાર સૂત્ર દ્વારા કરવામાં આવે છે " तिविहे मरणे पण्णत्ते " इत्यादि सूत्रार्थ-भरणु ऋणु अारना उद्या छे - ( १ ) आस भर, (२) पंडित भर भने (3) मास पंडित भर. मास भरना पाशुत्र अक्षर उद्या - (१) स्थिति बेश्य, (२) स. ક્લિષ્ટ લેશ્ય અને (૩) પવજાત લેશ્ય पंडित भरगुना पशु मसष्टि बेश्य भने ( 3 ) पर्यवन्नत सेश्य, अअर उद्या - (१) स्थिति देश्य, (२) ખાલ પડિત મરણુના પણ ત્રનુ પ્રકાર કહ્યા છે—(૧) સ્થિતિ લેક્ષ્ય, (२) मस डिष्ट देश्य भने (3) अपर्यवन्त बेश्य
SR No.009308
Book TitleSthanang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size47 MB
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