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आवारागसत्र जीवास्तिकायस्य (१)-अनन्तज्ञानम् , (२)-अनन्तदर्शनम् (३)-अनन्त मुखम् , (४)-अनन्तीय चेति गुणाः। (१)-अन्यायाधयत्रम् , .(२)-अनवगाहवत्वम् , (३) अमूर्तिकत्वम् (४)-अगुरुलघुपचं चेति पर्याया।
...अयं द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव-गुण-भेदेन पत्रधा : मायते-(१)-द्रव्यतःअनन्ता जीवाः, (२)-क्षेत्रतो लोकप्रमाणाः, (३). कालत आद्यन्तरहिताः, (४)भावतः अरूपिणः-वर्णगन्धरसस्पर्शवनिता इति, (५)-गुणतवेतनालक्षणा? इति ।
। इति जीवास्तिकायः सम्पूर्ण:जीवास्तिकाय के गुण ये है- (१) अनन्त ज्ञान :(२) अनन्त दर्शन (३) अनन्त सुग्म और (४) अनन्त वीर्य ।
(१) अन्यावाधवत्व (२) अनवगाहनावत्व (३) अमूर्तिकाय और .(४) अगुरुलघुत्व, . ये जीव की पर्याय हैं।
द्रव्य क्षेत्र काल भाव और गुण के भेद से पांच प्रकार से जीवास्तिकाय का ज्ञान होता है । (१) द्रव्य से--जीव अनन्त हैं, (२) क्षेत्र से--लोकप्रमाण हैं (३) काल
से-आदि-अन्त रहित हैं (४) भाव से--अरूपी है-रूप, रस, गन्ध, "और स्पर्श से • रहित हैं (५) गुण से चेतनालक्षण है ।।
। इति जीवास्तिकाय। पास्तियन गुप मा (1) मनशान, (२) मनत शन (3).भनत સુખ અને (૪) અનંત વીર્ય.
(૧) અવ્યાબાધવત્વ (૨) અનવગાહનાવવ (૩) અમૂતિકત્વ અને (૪) • सगुलधुत्व, में अपनी पर्याय छे.
દ્રવ્ય, ક્ષેત્ર, કાલ, ભાવ અને ગુણના ભેદથી પાંચ પ્રકારે જીવાસ્તિકાયનું જ્ઞાન ..याय. छ. (१) द्रव्यथी--04. मनात छे. (२) क्षेत्रथी- प्रभाए. (3) सथी-मा
અન્ત રહિત છે. (૪) ભાવથી–અરૂપી છે રૂપ-રસ–ગંધ અને સ્પર્શથી- રહિત છે । (५) मुगुथी-येतनालक्ष छे.
ઈતિ છવાસ્તિકાય–