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________________ परिशिष्ट : प्रयुक्त ग्रन्थ सूची सं. १९९२ - आगम युग का जैन दर्शन पं. दलसुखभाई मालवणिया प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर एवं श्री जैन श्वे. नाकोड़ा तीर्थ, मेवानगर (राज.). ई.स. १९९० आत्म समीक्षण आचार्य नानेश श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ, समता भवन, बीकानेर (राज.). वि.सं.१९९५ आत्म प्रसिद्धि हरिलाल जैन दिगम्बर जैन पारमार्थिक ट्रस्ट, ६२, धनजी स्ट्रीट, मुम्बई-३. वि.नि.सं. २४९० आत्म उत्थान नो पायो श्री भद्रंकरविजयजी भद्रंकर प्रकाशन, ४९/१, महालक्ष्मी सोसायटी, शाहीबाग, अहमदाबाद-४. वि.सं. २०५१ ★ आगमयुग का जैन-दर्शन पण्डित दलसुख मालवणिया, सं. विजयमुनि शास्त्री सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा. ई.स. १९६६ ★ आचार्य हेमचन्द्र: काव्यानुशासनञ्च : समीक्षात्मकमनुशीलनम् डॉ. छगनलाल शास्त्री प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर स्व. भीखांदेवी शास्त्री प्राच्य-विद्या-निधि, सरदारशहर-३३१४०३. ई.स. १९९९. आवश्यक सूत्र का सारांश तिलोकमुनि सेठ श्री मनमोहनराजजी छगनराजजी लूंकड, महेसाणा (गुजरात). ई.सं. १९९३. ★ आनन्दघन चौबीसी विवेचनकार : मुनि सहजानन्दघन प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी ( कर्णाटक). ई.सं. १९८९. न. १९९३. १९९३. १९९०. १९९६. 497 KAN
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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