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________________ भाग नर्वृत युक्त, ot ahe ho the 145 हैं है । जो दि एक ही he F T न आगमों में सिद्धपद का विस्तार अवगाहना या विस्तार युक्त शरीर को छोड़ता है, तब उसकी अवगाहना दो तिहाई 2/3 होती है। | तदनुसार चरम शरीरी सिद्धों के पाँचसौ धनुष - परिमित शरीरावगाहना से मुक्त होने पर तीन सौ से अधिक परिमित अवगाहना रह जाती है। कुछ धनुष सिद्ध गति : विरहकाल समवायांग सूत्र के एक प्रंसग में गणधर गौतम भगवान् महावीर से प्रश्न करते हैं- प्रभुवर! सिद्धिगति का कितने समय तक विरह काल है? भगवान् महावीर गौतम के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं- हे गौतम! सिद्धि-गति जघन्य कम से कम एक समय तथा उत्कृष्ट अधिक से अधिक से छः मास पर्यंत विरहित रहती है। इसका | तात्पर्य यह है कि इतने समय तक कोई सिद्धत्व नहीं पाता । अर्थात् न्यून से न्यून एक समय ऐसा होता | है, जिस बीच भव्य आत्मा समस्त कर्मों का क्षय कर मुक्तावस्था या सिद्धावस्था में नहीं जाती । यह तो काल की अल्पतम सीमा है। अधिकतम सीमा छ महिने की है। इसी प्रकार सिद्धगति को छोड़कर अन्य सब जीवों की उदवर्तना मरण है, जैसा आगमों में कहा गया है, तद्नुरूप जानना चाहिए कि अपनी-अपनी आयु को पूर्ण कर कब निकलते हैं और कब नवीन पर्याय धारण करते हैं, अन्य गति में, अन्य योनियों में जन्म लेते हैं। व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र में णमोक्कार मंत्र : मंगलाचरण अंग आगमों में पाँचवाँ व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र है विषयों की विविधता तथा विस्तार की दृष्टि से इस आंगम का अत्यंत महत्त्व है । इसमें तत्त्व तथा आचार संबंधित अनेक विषयों का विस्तार से वर्णन है। यह एक ऐसा आगम है, जिसके अध्ययन से जैन सिद्धान्तों का बहुत अच्छा ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसका प्रारंभ निन्नांकित मंगलाचरण से होता है. णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्यसाहूणं । णमोकार महामंत्र का अंग आगमों में यह प्राचीनतम प्रयोग है। अर्हत्, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, समग्र साधुओं के नमन के रूप में यह है।" २. समवायांग सूच, विविध विषय निरुपण समवाय, सूत्र ६१४. -सूत्र, - 174 २. भगवती - सूत्र, शतक - १, उद्देशक - १, सूत्र - १.
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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