SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिध्दपद और णमोक्कार-आराधना प्रकार के में शांति ल-वाक्य कल्याण जीतने क्यों की र सकते न किया ाँ किसी T अपने के लिए १. प्रथम नियम है- टेलिफोन की स्थानीय लाईन का असंबंध या स्थगन करना। जब तक लोकल लाईन द्वारा किसी स्थानीय व्यक्ति के साथ वार्तालाप होता रहेगा, तब तक ‘डायरेक्ट लाईन' में बातचीत नहीं हो सकती। डायरेक्ट लाईन में बात करना हो तो 'लोकल लाईन का स्थगन करना आवश्यक है। २. दूसरा नियम है- कोड नंबर का डायलिंग करना । जैसे किसी को दिल्ली स्थित व्यक्ति के साथ सीधी बात करनी हो तो उसे दिल्ली के कोड नंबर का डायलिंग करना अपेक्षित है। ऐसा करने से टेलीफोन दिल्ली से जुड़ेगा। ३. तीसरा नियम है- जिस व्यक्ति के साथ बातचीत करनी हो, उसके व्यक्तिगत नंबर का डायलिंग करना होगा। उस नंबर को जोड़ना होगा। ___ इस प्रकार ये तीन नियम आवश्यक हैं। ऐसा होने पर ही किसी के साथ 'डायरेक्ट लाईन' में, फोन में बातचीत हो सकती है। यह दैनन्दिन अनुभव की बात है। इन्हीं तीन सिद्धांतों को णमोक्कार मंत्र के साथ जोड कर अरिहंत परमात्मा के साथ डायरेक्ट बातचीत कर सकते हैं १. णमोक्कार महामंत्र में जिनके साथ हमें संपर्क साधना है, वे अरिहंत प्रभु हैं। उनके साथ संपर्क जोड़ने के लिये पहला नियम यह है कि जिस प्रकार टेलिफोन द्वारा किसी दूरवर्ती व्यक्ति के साथ बातचीत करने वाला व्यक्ति स्थानीय लाईन को स्थगित कर देता है, उसी प्रकार वीतराग प्रभु के साथ संपर्क जोड़ने की भावना रखने वाले व्यक्ति के लिये यह आवश्यक है कि वह लौकिक संबंधियों से तथा | भौतिक वस्तु-संबंधी विचारों का त्याग करे। वैसा किये बिना वह परमात्मभाव के साथ जुड़ नहीं सकता। इसका अभिप्राय यह है कि बहिरात्मभाव से छूटना 'लोकल लाईन' का स्थगन है। २. दूसरा नियम है- कोड़ नंबर का डायलिंग। ‘णमो' पद परमात्मा का कोड नंबर है। जिस तरह दूर के व्यक्ति के साथ टेलिफोन पर संपर्क करने हेतु उस स्थान के कोड नंबर को डायल करना पड़ता है, उसी प्रकार णमो' पद का उच्चारण परमात्मा के डायलिंग का कोड नंबर है। अर्थात् णमो' शब्द बोलते ही साधक परमात्म-भाव की परिधि में आ जाता है। णमो' पद विभाव-दशा में से स्वभाव-दशा में जाने के लिये 'टर्निंग पोइंट' है। णमो' पद अंतारात्म-भाव रूप है। ३. तीसरा नियम है- जिससे बातचीत तथा संपर्क करना है, उसके नंबर का डायल करना या साधक को परमात्मा के साथ अपना संपर्क जोड़ना है, परमात्मा के नंबर का डायलिंग करना है। परमात्मा का नंबर 'अरिहंताणं' पद है। इस पद का अर्थ परमात्म-भाव में स्थिर होना है। त होने __ प्रगति गों को धी से सीधा स्वरूप का या 142
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy