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________________ णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन PARAN Season Holapapalimodane Nistandinis EMAHENNIALISAIRAHIGHREEROICROACHERRRRE Samsung अड़सठ अक्षरों में जो विधान का संसर्जन है, उसमें एक भी अक्षर का, मात्रा का, परिष्कार करने की कभी कोई आवश्यकता नहीं दिखलाई दी। इसलिये समस्त संसार में विधानात्मक दृष्टि से यह सर्वथा विशुद्ध (Constitutionally Correct) है। इससे यह सिद्ध होता है कि नवकार मंत्र शाश्वत सत्य है। लौकिक विधानों का अनुसरण तो केवल सांसारिक व्यवस्था में होता है। संसार में सुखपूर्वक निर्विघ्न रूप में जीने का पथ-दर्शन देता है। णमोक्कार मंत्र आत्म-भाव से परमात्म-भाव तक पहुँचने का महाप्रसाद देता है, जिसकी तुलना में कोई भी पदार्थ टिक नहीं सकता। इसकी आराधना अनंत फलप्रद है। उसका प्रत्येक अक्षर आव्याबाध सुख की दिशा में अग्रसर करता है। उसका प्रत्येक पद शाश्वत स्वरूप की प्राप्ति का प्रेरक है। समस्त विघ्नों का विच्छेदक है। अंतत: परमानंद की प्राप्ति का अनन्य साधन है। समस्त ध्येयों में | सर्वोत्तम है। अत: महामंत्र शाश्वत (Eternel Truth) रूप लिए हुए है। णमोक्कार मंत्र की संप्रतिष्ठा कितनी महत्त्वपूर्ण है। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधु इसमें संप्रतिष्ठ हैं, जो इस जगत् के सर्वोत्कृष्ट भावरूप हैं। णमोक्कार मंत्र का विधान संसार के लोगों का आह्वान करता है कि आप सब इसका अनुसरण करें। इसके परिणाम स्वरूप इस महामंत्र में बताए गए पाँचों महान् पदों तक अपने पराक्रम द्वारा पहुँच सकेंगे। इन पदों की प्राप्ति का बड़ा विलक्षण विधान है। ये जनमत के बल पर प्राप्त नहीं किए जा सकते। ये आत्मबल के मत से प्राप्त किए जा सकते हैं। जनमत यद्यपि लोगों की भावना का परिचायक है किंतु उसके आधार पर उच्च पद पर आने वाले क्या जनभावना का कभी आदर करते हैं? क्या जनता जनार्दन की सेवा हेतु उद्यम और त्याग करते है? क्या वे स्वार्थांध होकर कर्तव्याकर्तव्य नहीं भूल जाते ? क्या उन्हें विधान नियंत्रित रख पाता है ? इन सबका उत्तर अभाव, अव्यवस्था, अनियमितता आदि अनेक कष्टों से जूझते आज के जनजीवन में परिलक्षित होता है। यदि इस विधान के साथ आत्मबल का मत भी जुड़ा होता तो ये अवस्थाएं उत्पन्न नहीं होती।। आत्मबल व्यक्ति को पाप से, भ्रष्टाचार से रोकता है। वह सेवा, सदाचार, कर्तव्य-निष्ठा और नैतिकता की प्रेरणा देता है, इसलिये यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि सांसारिक विधान के साथ-साथ धार्मिक विधान को जोड़े बिना, सांसारिक विधान में पवित्रता नहीं आ सकती। इसलिये राजनीति, प्रशासन, उद्योग, व्यापार आदि जीवन के सभी क्षेत्रों में अवश्य ही जुड़ने चाहिए। णमोक्कार मंत्र उस धार्मिक विधान का वह दस्तावेज है, जो किसी भी न्यायालय द्वारा असिद्ध साबित नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमें वीतराग-जिनेन्द्र प्रभु की सर्वव्यापिनी, सर्वग्राहिनी, अनंत ज्ञानात्मक शक्ति जुड़ी हुई है। RIGHawa 135
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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