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________________ सिध्दपद और णमोक्कार-आराधना जीव अनंत वर्त अंतिम द वह जीव साथ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वह आध्यात्मिक-गणित भी जडा हआ है, जो आत्मा को परमात्मा से जोड देता है। इस प्रकार यह महामंत्र गणितानुसारी भी है और गणितातिशायी भी है। यह अद्वितीय है। बेला आती मोह-माया T है तथा वर्ती जीव ती निष्फल भी होगा, हुआ है। पहुँचना राजनैतिक दृष्टि से णमोक्कार मंत्र की सर्वोत्कृष्टता ___व्यक्तियों का सापेक्ष समुदाय समाज होता है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति का अपना स्थान और महत्त्व होता है। समाज के संचालन में उसका सहयोग वांछित है। समाज को अनेक पुर्जी से बनी हुई घड़ी की उपमा दी जा सकती है। यदि घड़ी का एक पुर्जा भी विकृत हो जाए, शेष भलीभाँति कार्य करने में समर्थ हों, तो भी घड़ी नहीं चलती, बंद हो जाती है। इसी प्रकार समाज के प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अस्मिता है। अनेक समाज, जातियाँ और वर्ग मिलकर एक राष्ट्र का रूप लेते हैं। जब संख्या में बहुतलता हो जाती है तब राष्ट्र की व्यवस्था के नियमन के लिये एक नियामक या शासक की आवश्यकता होती है। प्राचीन काल में राजा इसका पूरक था। बदलते हुए युग के साथ शासन-तंत्र में, राजनीति में भी बड़े परिवर्तन हुए। वंशानुगत राजपरंपरा लगभग समाप्त हो गई। कहीं-कहीं उसका जो रूप दृष्टिगोचर होता है, वह ऐतिहासिक, प्रतीकात्मक है ।समस्त विश्व में प्रजातंत्र या लोकतंत्र परिव्याप्त है। उसके रूप, विधान आदि में यत्किंचित् भेद है किंतु आज सत्ता का सीधा संबंध जन-जन के साथ जुड़ा हुआ है। इसे राजनीति (Politics) कहा जाता है। जिस प्रकार अर्थनीति का आज महत्त्व है, उसी प्रकार राजनीति का भी कम महत्त्व नहीं है। दलगत राजनीति, राष्ट्रपति प्रणाली, संसदीय लोकतंत्र, साम्यवाद, समाजवाद आदि उसके अनेक रूप हैं। इनसे संबद्ध राजनैतिक दल (Politics Parties) कार्यशील हैं। जनमत के आधार पर शासन-सत्ता का निर्णय होता है। तीर्ण होने प में कर्म था क्षीण ज्ज्वलता का प्रकर्ष ने साध्य - लगता, तो एक र्ण और आज साधारण से साधारण मनुष्य के मन पर राजनीति व्याप्त है। चाहे वह गहराई से उसे न समझता हो परंतु दल-विशेष के साथ जुड़कर वह अपनी अस्मिता स्थापित करता है। आज के लोक-मानस में णमोक्कार मंत्र का महत्त्व प्रतिष्ठित करने हेतु यह उचित होगा कि राजनैतिक संदर्भ में भी इस पर चिंतन किया जाए। लौकिक-साम्राज्य की तरह धर्म का भी अपना साम्राज्य है। लौकिक-साम्राज्य जहाँ पारस्परिक भातिवश बड़ी-बड़ी सेनाएँ रखता है, घातक शस्त्रों का संग्रह करता है, धर्म-साम्राज्य अपनी रक्षा के लिये संयम, संतोष त्याग, वैराग्य, क्षमा, निर्वेद, संवेग, समत्व आदि आत्म-गुणों की विशाल सेना से तु उसके 126
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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