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________________ णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन 'मित्ति मे सव्य भूएसु' का आदर्श व्यक्ति स्वीकार करता है, तब उसका समस्त प्राणियों के साथ | वैरभाव अपगत या नष्ट हो जाता है। वह सबको मित्र या सुहृद की दृष्टि से देखता है। “मैत्री भावना के विकास से दुःखजनक हिंसादि पापों से व्यक्ति मुक्त हो जाता है । मैत्री भावना से भरे हुए परमेष्ठियों की शरण लेने से जीव में विद्यमान मुक्ति गमन की योग्यता का विकास होता है तथा कर्म से संबद्ध कराती जीव की अयोग्यता (विपरीत - वृत्ति) का ह्रास होता है । " २ प्रबुद्ध लेखक एवं कवि श्री गणेशमुनि शास्त्री ने मैत्री भावना के संबंध में लिखा है : उत्तम मैत्री भावना, तेरहवीं सुखकार । शत्रु नहीं कोई यहाँ, मित्र सकल संसार ।। मैत्री से होता स्वतः, मैत्री का विस्तार । बीज बिना क्या विटपि ने लिया कभी आकार ।। हुआ है योऽअस्मान् द्वेष्टि यं वयं द्विष्मस्तं वोजम्भेदध्मः । जो कोई हमारे साथ द्वेष करता है तथा जिस किसी से हम द्वेष करते हैं, भगवन् ! उस द्वेष को आप नष्ट कर दें, जिससे न तो कोई हम से द्वेष करें तथा न हम किसी से द्वेष करें।' अथर्ववेद में उल्लेख “मैत्री भावना विहित साधक, स्वयं अपने को कष्ट में डाल सकता है किन्तु दूसरों को कष्ट नहीं | देता । उसकी दृष्टि में पर- शत्रु जैसा कोई रहता ही नहीं । शत्रु का भाव ही अनिष्ट करता है।” पातञ्जल योग-प्रदीप में मैत्री, करुणा, मुदिता एवं उपेक्षा- इन चारें भावनाओं का योग के संदर्भ | में विस्तार से वर्णन किया गया है । ५ । । "मैत्री, अहिंसा का विधेयात्मक स्वरूप है। मंत्री सुखप्रद है और द्वेष दुखप्रद मनुष्यों के परस्पर व्यवहार में मैत्री का अभाव होता है तो दुनिया में दुःख बढ़ जाता है”।" यजुर्वेद में कहा गया है- सभी प्राणी मुझे मित्र की दृष्टि से देखें और मैं सभी प्राणियों को मित्र के रूप में देखूं ।" १. प्रेलोक्य दीपक मंत्राधिराज पृष्ठ ४८९. ३. सरल भावना बोध, पृष्ठ : १३७. ५. पातंजलयोग- प्रदीप, पृष्ठ : २३६. ७. यजुर्वेद, ३६, ९८, पृष्ठ : ३०. २. आत्म उत्थाननो पायो, पृष्ठ : ९५. ४. अहिंसा : विचार और व्यवहार, पृष्ठ २७६. ६. श्रावक - धर्म, पृष्ठ : ९. 117
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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