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________________ सिध्दपद और णमोक्कार-आराधना FFEE FEEr. her - 'णमो सिद्धाणं' पद, लाल रंग और दर्शन-केंद्र- इन तीनों का समन्वय हमारी अंतर-दष्टि को जागरित करने का अमोघ उपाय है। इससे होने वाली सिद्धि साधक के अभ्यास, अध्यवसाय और प्रय पर निर्भर है। उसके उद्यम में जितनी तीव्रता और सजगता होगी, उसको उसी रूप में उपलब्धि या लाभ होगा। णमो आयरियाणं' का रंग पीत या पीला है। पीला रंग हमारे मन को क्रियाशील बनाता है। इसका स्थान विशुद्धि-केंद्र है। हमारे देह में पूरे सौरमंडल- नक्षत्र समुदाय की कल्पना की गई हैं। जिस तरह यह जगत् सौरमंडल से व्याप्त है, वैसे उन-उन शक्तियों या ऊर्जाओं या विशिष्ट गुणों के कारण सर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, राहु, आदि सारे ग्रहों की कल्पना की गई है। जो हस्तरेखा के विशेषज्ञ हैं. वे हाथ की रेखाओं के आधार पर ग्रहों का ज्ञान कर लेते हैं। जो ललाट की रेखाओं के विशेषज्ञ हैं. वे उसे देखकर ग्रहों का ज्ञान कर लेते हैं। इसी प्रकार जो योग में निष्णात हैं, वे चेतना-केंद्रों के आधार पर नव-ग्रहों की दशाओं को जान लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि विशुद्धि-केंद्र चंद्रमा का स्थान है। ज्योतिषवेत्ता चन्द्रमाँ की दशा के माध्यम से व्यक्ति की मन:-स्थिति को जान लेता है। चन्द्रमाँ और मन का संबंध है। जैसी स्थिति चन्द्रमाँ की होती है, वैसी मन की भी होती है। णमो आयरियाणं का ध्यान विशद्धि केंद्र पर पीत वर्ण के साथ किया जाता है। तेजस-केंद्र वत्तियों को उभारता है, विशुद्धि-केंद्र उन पर नियंत्रण करता है। शरीर विज्ञानवेत्ता ऐसा मानते है कि कंठ में 'थाइरॉइड-ग्लैण्ड' नामक एक ग्रंथि है, जो वृत्तियों पर नियंत्रण करती है। इससे आवेग नियंत्रित होते हैं। इस केंद्र पर णमो आयरियाणं का ध्यान करने से हमारी वृत्तियाँ शांत होती हैं, पवित्र होती हैं। विशुद्धि-केंद्र पवित्रता की वृद्धि करता है। इस पर ध्यान करने से मन में पवित्रता का संचार होता है। णमो उवज्झायाणं' पद का रंग नीला माना जाता है। इसका स्थान आनंद-केंद्र माना जाता है। नीला रंग शांतिप्रद है । यह एकाग्रता, प्रशांतता एवं समाधि उत्पन्न करता है। कषायों को शांत करता है। आत्मसाक्षात्कार में सहायक होता है। ___णमो लोए सव्व साहूणं' पद का रंग काला माना जाता है। इसका स्थान शांति-केंद्र है। शांति केंद्र का स्थान पैर माना जाता है। काले वर्ण के साथ इस पद की आराधना की जाती है। काला रंग अवशोषक- अवशोषण करने वाला होता है ।काला छाता रखने की परिपाटी इसी बात की द्योतक है। वह ताप और गर्मी का अवशोषण करता है। सर्दी की मौसम में काले और नीले रंग के कपड़े पहनने का यही आशय है। न्यायालयों में न्यायाधीश और वकील काला कोट पहनते हैं, इसका कारण यह है कि काला कोट उनको बाहर के वातावरण के प्रभाव से सुरक्षित रखता है। १. एसो पंच नमोक्कारो, पृष्ठ : ७६ - ७८. 106 अर Jaiketsiden..- THRVASNAAdapilinisatiok Nokarism
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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