________________
ANSION
SEAN
SROSCOREIVADI
EATRINA
CRIME
णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन
PAANIHIRO
SHAIRAVANDRAPHAR
N
“अरिहंत-भगवंत, सिद्ध-भगवंत, आचार्य, उपाध्याय तथा साधु- इनमें से प्रत्येक का प्रथम अक्षर लेने से 'असिआउसा' ऐसा महत्त्वपूर्ण वाक्य निर्मित होता है, जिससे ॐ के रूप में योगबिन्दु का स्वरूप निष्पन्न होता है, इसलिए इस मंत्र का अवश्य ही विमल भावपूर्वक जप करना जाहिए।"?
श्री आर.बी. प्राग्वाट् नवकार महामंत्र के संबंध में लिखते हैं :
One who recites the Navakara Mantra must consider himself as really very fortunate. That he has the most precious gem like Pancha Parmeshti Namaskar in this beginningless past and endless future, ocean of life."२ | "जैन धर्म में साधना का केन्द्र कोई व्यक्ति नहीं है। वह गुणपूजक धर्म है। उसकी यह विशेषता णमोक्कार मंत्र में पूर्णतया दृष्टिगोचर होती है। यहाँ किसी देव विशेष को नहीं वरन् आत्मिक गुणों के विकास पर आधृत आध्यात्मिक विभूति को आविर्भूत करने वाले महापुरुषों को ही नमस्कार किया गया है, जिससे यह मंत्र मानव-मात्र की अनमोल निधि है।"३ | "श्री णमोक्कार पंचपरमेष्ठी भगवंतों के साथ मिलन करवाता है। मोक्ष का सीधा रास्ता बतलाता है। संसार में किस रीति से जीया जाए, यह समझाता है। प्रत्येक प्राणी के साथ अपने संबन्धों की पवित्रता स्थापित करता है। दुष्कृत के प्रति गर्दा, सुकृत के प्रति अनुमोदन करना सिखलाता है। णमोक्कार अपना जन्म-जन्म का सच्चा साथी है।"
“णमोकार मंत्र की ध्वनियों में ओज है, बल है, आत्म-विश्वास है। बीजाक्षरों के रूप में इसमें जो अग्नि-बीज निहित हैं, उनकी ऊर्जा निश्चित रूप से आत्म-जागति के लिए फलदायी है।"५
णमोकार मंत्र जैन धर्म का सबसे बड़ा प्रभावशाली अनादि-सिद्ध मंत्र है। जैन साहित्य का प्रत्येक क्षेत्र उसके गौरव-गान से गुंजित है। जैनाचार्यों ने कहा है- चौदह पूर्व का विशाल-ज्ञान एक तरफ और नवकार मंत्र की महत्ता एक तरफ ! कल्पना कीजिए, दोनों को तोला जाय तो नवकार मंत्र का ही पलड़ा भारी रहेगा।"६
"मंत्र में जप, भक्ति और ध्यान का सामंजस्य है। मंत्र का प्रादुर्भाव शब्दों से होता है, परंतु मंत्र-जप का उद्देश्य और परिणाम शब्द से अशब्द की तरफ जाने का है। यह इसलिए कि मंत्र शब्दमय तभी तक रहेगा, जब तक वह चेतना में साकार न हो जाए।"
NAMEANINESHWAR
S
ROORSHANIMOONLINOMANIANMARATTIANTRAROSATTA
१. णमोकार महामंत्र, (दिनेशभाई मोदी), पृष्ठ : २९. | ३. ओंकार एक अनुचिंतन, पृष्ठ : २७. ५. तीर्थंकर (मासिक) वर्ष १०, अंक-९, पृष्ठ : ७८. ७ अरिहंत: स्वरूप-साधना-आराधना, पृष्ठ : ५५.
२. Navakar Maha Mantra, Page :16. ४. श्री नवकार साधना, पृष्ठ : १०९, ११०. ६. जैन धर्म : महामंत्र नवकार, पृष्ठ : ९, १०.