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समय
समय की है बात, ये तो समय की है बात
देखूं चारों और तो दिखे सब जीव व्यस्त कोई दौड़े काम से, तो कोई दौड़े दौड़न काज कोई दौड़े पुण्य से तो कोई दौड़े पापन हाथ दौड़ें तो सब जीव ही और रहे सब व्यस्त नहीं समय किसीके पास, समय की है बात
पशु पक्षी और प्राणी दौड़ें, दौड़ें भोजन काज घर बनावें, घर छिपावें, शत्रु देख घर से ही भागें अंडे बचावें, बालक बचावें, दौड़ें उनकी रक्षा काज ठंड से भागें, गर्मी से भागें, भागें दिन और रात नहीं समय किसीके पास, समय की है बात
बचपन में सब मानव दौड़ें, खेलें कूदें हसें और रोयें सभी, खुद जरूरत काज जैसे जैसे बच्चे बड़े होते जायें
वे दौड़े खुद के लिए और घर मित्र के काज
नहीं समय किसीके पास, समय की है बात
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