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देखो तो कितनी भाग्यशाली मैं एक माँ जिसने ये दुर्लभ मनुष्य भव दिया, इसी भव में तो मिली जिनवाणी माँ दोनों माँ से ज्ञान मिला, प्यार मिला, उपकारी रहूं मैं दोनों की सदा और हूं उपकारी उस गुरु की जिसने समझाई जिनवाणी माँ
दुनिया जानी, उसकी अनित्यता है जानी, अरिहंत, सिद्ध जाने, उनसे है प्रीत बंधानी मैंने सच्चा साथ है पाया, और ये साथ अब तो जन्म जन्मान्तर का है, माँ, मेरा साथ ना छोड़ना, मुझे भूलने ना देना, जीव हूं मैं, जीव के साथ ही रहूंगी. सभी अजीव से परे तुझ संगाथ ही रहूंगी
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