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मैं हूं मुझ में
मुझमें पूरा कैसे बनूं मैं तेरा, तेरा
तू है तुझ में पूरा, क्यों बनूं मैं तेरा, तेरा
मैं जानूं तुझको मुझको मैं जाननहारा मैं हूं मुझ में पूरा, कैसे बनूं मैं तेरा, तेरा
मैं जिया तेरे लिये, है तो मेरा पागलपन मैं पागलपन कर ही अनादिसे बना रोगी मैं हूं मैं, तू तो मेरा संयोग नहीं हैं एक जैसे दूध न बनता पानी, पानी न बने दूध मैं हूं मुझ में पूरा कैसे बनूं मैं तेरा, तेरा
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मैं दुखी हो लेता, जब स्वभाव से सुखमय मैं अकर्त्ता, करने का, अंजाम ही दुखमय
मैं मुझमें शाश्वत, तू है तुझमें, यही जान
मैं मेरे स्वभाव में रहता त्रिकाली सुखमय
मैं हूं मुझ में पूरा, कैसे बनूं मैं तेरा, तेरा
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