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दिल एक मंदिर है
दिल एक मंदिर है, स्वआत्मा की जिसमें होती है पूजा, यही मेरा घर है दिल एक मंदिर है
जाने वाले तो सदा हैं पराये, स्वघर की याद ही मैरी है (२) दिल एक मंदिर है ......
हर धड़कन (ख्याल)में होती है मुक्ति,आंख जो मींची, हो जाये दर्शन (२) मौत मिटा दे ये पुद्गल हस्ती, आत्मा तो ... अमर है (२) दिल एक मंदिर है.
हम इस पुद्गल के बंधन को भूल, निज आत्म ज्योत जलाएं (२) सांस (ज्ञान) की हर पल (क्षण) पुकारे, यह परमात्मा का घर है (२) दिल एक मंदिर है .........
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