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नमस्कारफलम्
शलाकापुरुषादीनां विविधानि पदानि च।
तथेन्द्रादिपदान्येव नमस्कारस्य सत्फलम्।।२९।। शलाका पुरुषों को तरह-तरह के पदों की प्राप्ति तथा इन्द्र आदि पदों की प्राप्ति नमस्कार महामन्त्र के शुभ फल हैं।।२९।।
बुद्धिः कीर्तिधृतिर्लक्ष्मीः श्रद्धा शक्तिर्मतिः स्मृतिः।
शान्तिस्तुष्टिस्तथा पुष्टिनमस्कारस्य सत्फलम्।।३०।। बुद्धि, यश, धैर्य, लक्ष्मी, श्रद्धा, शक्ति, ज्ञान, स्मरणशक्ति, शान्ति, सन्तोष एवं पुष्टि ये सब नमस्कार मंत्र के फल हैं।।३०।।
वाच्यवाचकसम्बन्धाद्वाच्यतत्त्वावबोधतः।
पदस्थध्यानसिद्धिस्तु नमस्कारस्य सत्फलम्।।३१।। वाच्य वाचक सम्बन्ध से तथा वाच्य तत्त्व के ज्ञान से पदस्थ ध्यान की सिद्धि नमस्कार महामन्त्र का फल है।।३१।।
अर्थभावनसंयुक्तात्स्मरणात्परमेष्ठिनाम्।
आत्मनः स्फुरणं प्रोक्तं नमस्कारस्य सत्फलम्।।३२।। अर्थ की भावना से युक्त परमेष्ठियों के स्मरण से आत्मा का स्फुरण नमस्कार का ही फल है।।३२।।
सर्वसिद्धान्तगूढार्थपरिज्ञानं विचिन्तनात्।
हेयादीनां तथा ज्ञानं नमस्कारस्य सत्फलम्।।३३॥ चिन्तन करने से सभी सिद्धान्तों के गूढ अर्थ का उचित ज्ञान तथा हेय-ज्ञेयउपादेय का ज्ञान नमस्कार मंत्र का फल है।।३३।।
चित्तशुद्धिश्च निर्वेदो ह्यनासक्तिर्विलक्षणा।
महोदयाभिलाषश्च नमस्कारस्य सत्फलम्।।३४।। चित्त की शुद्धि, वैराग्य, विलक्षण अनासक्ति एवं महोदय की अभिलाषा (मोक्ष की इच्छा) ये सब नमस्कार मन्त्र का फल हैं।।३४।।