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________________ योगकल्पलता वैराग्यवासितं चित्तं सदैवानन्दमग्नता। योग्यता लययोगेऽपि नमस्कारस्य सत्फलम्।।२३।। वैराग्य से भरा हुआ मन, सदा अलौकिक आनन्द में चित्त की मग्नता लययोग की योग्यता ये नमस्कार महामन्त्र के शुभ फल हैं।।२३।। जिनेन्द्रेषु परा भक्तिरनुभूतिस्तथात्मनः। जीवन्मुक्तिः क्रमेणैव नमस्कारस्य सत्फलम्।।२४।। जिनेश्वरों में श्रेष्ठ भक्ति, आत्मा की अनुभुति, फिर क्रम से जीवन-मरण से मुक्ति ये नमस्कार महामन्त्र के शुभ परिणाम है।।२४।। ऋद्धयः सिद्धयः सर्वा मुमुक्षुणां स्वयंवराः। वाक्सिद्धिर्गुणवृद्धिश्च नमस्कारस्य सत्फलम्।।२५।। (नमस्कार मंत्र के प्रभाव से) सभी ऋद्धियाँ (सिद्धियाँ) मुमुक्षुओं को स्वयं प्राप्त होती है। वाक् सिद्धि एवं गुणों की वृद्धि होती है यह नमस्कार मंत्र का फल है।।२५।। हृषीकार्थेष्वनासक्तिर्धारणा मनसः स्थिरा। सङ्कल्पकल्पनाशान्तिनमस्कारस्य सत्फलम्।।२६।। इन्द्रियों के विषयों में अनासक्ति, मन की स्थिर धारणा, संकल्प में दृढता, कल्पना और शान्ति नमस्कार महामन्त्र के फल हैं।।२६।। कारुण्याद्भव्यजीवेषु मोक्षमार्गनिरूपणे। सर्वदैवादरो भावान्नमस्कारस्य सत्फलम्।।२७।। भव्य जीवों पर दया करके मोक्षमार्ग का आदरभाव से निरूपण करना यह नमस्कार महामन्त्र का सत्फल है।।२७।।। चाञ्चल्यरहिता लक्ष्मीर्जिह्वाग्रे च सरस्वती। साधनामार्गसज्ज्ञानं नमस्कारस्य सत्फलम्।।२८।। स्थिर लक्ष्मी, जिह्वा के अग्रभाग पर सरस्वती एवं साधनामार्ग का सम्यक् ज्ञान नमस्कार महामन्त्र के शुभफल हैं।।२८।।
SR No.009267
Book TitleYogkalpalata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirish Parmanand Kapadia
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages145
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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