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श्री जिनशासन के परम तेजस्वी अधिनायक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न पूज्य गणिवर श्री वैराग्यरतिविजयजी म.सा. की प्रेरणा से श्री विमलनाथ स्वामी जैन श्वेतांबर टेम्पल ट्रस्ट,
बिबवेवाडी, पुणे के ज्ञाननिधि से इस पुस्तक के प्रकाशन का लाभ लिया गया है।
आपकी श्रुतभक्ति की हार्दिक अनुमोदना