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प्रकाशकीय
'योगकल्पलता' पुस्तक श्रीसंघ के करकमल में प्रस्तुत करते हुए हमें अतीव हर्ष का अनुभव हो रहा है। यद्यपि यह एक नूतन रचना है फिर भी उसके रचयिता एक गृहस्थ श्रावक है यह बडे गौरव की बात है। पुराने संपादन में ये तीन कृतियाँ अलग अलग पुस्तिका में मुद्रित हुई थी यहां पर सभी कृतियाँ अनुवाद के साथ प्रस्तुत है। इनका अनुवाद प्राज्ञवर्य श्री मृगेंद्रनाथजी झा ने किया है। अतः हम उनके ऋणी है। हम पूर्व प्रकाशकों के प्रति भी हमारी कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हैं। संपादन में श्रुतभवन संशोधन केंद्र के सभी सहकर्मियों का प्रदान है। श्री विमलनाथ स्वामी जैन श्वेतांबर टेम्पल ट्रस्ट, बिबवेवाडी, पुणे ने अपनी ज्ञाननिधि से इस ग्रंथ प्रकाशन का लाभ लिया है अतः हम उनके प्रति भी आभारभाव प्रदर्शित करते हैं।
श्रुतभवन संशोधन केन्द्र, पुणे की समस्त गतिविधियों के मुख्य आधार स्तंभ मांगरोळ (गुजरात) निवासी श्री चंद्रकलाबेन सुंदरलाल शेठ परिवार एवं भाईश्री (ईन्टरनेशनल जैन फाउन्डेशन, मुंबई) परिवार के हम सदैव ऋणी है ।
- भरत शाह (मानद अध्यक्ष)