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नमस्कारनुतिः।।
नत्वा वीरं गुरुं भक्त्या जननी जनकं तथा।
रच्यते स्वात्मलाभाय नमस्कारनुतिर्मया।।१।। भक्तिपूर्वक भगवान महावीर तथा माता-पिता को नमस्कार करके अपनी आत्मा के लाभ हेतु मेरे द्वारा नमस्कार नुति की रचना की जाती है।।१।।
सदा सर्वेषु कार्येषु सर्वविघ्नोपशान्तये।
आदावेव महाभक्त्या नमस्काराय मे नमः।।२।। सभी कार्य के प्रारंभ में सभी प्रकार के विघ्नशमन के हेतु नमस्कार मन्त्र को मेरा भक्तिपूर्वक नमन है।।२।।
ग्रहणं यस्य मन्त्रस्य शस्यते श्रीगुरोर्मुखात्।
मोक्षैकहेतवे तस्मै नमस्काराय मे नमः।।३।। गुरुमुख से जिस मन्त्र का ग्रहण प्रशस्त है, जो मोक्षका हेतु है उस नमस्कार मन्त्र को मेरा नमस्कार।।३।।
महामन्त्राधिराजाय रागादिध्वंसिने सदा।
परमैकरहस्याय नमस्काराय मे नमः।।४।। समस्त रोगों का नाश करनेवाला, परमरहस्यरूप, महामन्याधिराज नमस्कार मंत्र को मेरा नमस्कार है।।४।।
शुद्धबोधस्वरूपाय स्वप्रकाशप्रदायिने।
मोक्षविघ्नच्छिदे तस्मै नमस्काराय मे नमः।।५।। शुद्धबोधस्वरूपवाले, स्वप्रकाश देनेवाले तथा मोक्षमार्ग में आनेवाले विघ्नों को दूर करनेवाले नमस्कार मन्त्र को मेरा नमस्कार है।।५।।