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________________ अष्टमं परिशिष्टम् १६९ [५२] नयास्तु पदार्थज्ञाने ज्ञानांशाः। तत्रानन्तधर्मात्मके वस्तुन्येकधर्मोन्नयनं ज्ञाननयः तथा रत्नाकरे-नीयते येन श्रुताख्यप्रमाणविषयीकृतस्यार्थस्यांशस्तदितरांसौदासीन्यतः स प्रतिपत्तुरभिप्रायविशेषो नयः। स्वाभिप्रेतादंशापलापी पुनर्नयाभासः। स व्याससमासाभ्यां द्विप्रकारो व्यासतोऽनेकविकल्पः, समासतो द्विभेदो द्रव्यार्थिकः पर्यायार्थिकः। तत्र द्रव्यार्थिकश्चतुर्धा नैगमसङ्ग्रहव्यवहारर्जुसूत्रभेदात्। पर्यायार्थिकस्त्रिधा शब्दसमभिरूद्वैवम्भूतभेदात्। [५२| अर्थ- जे नय छे ते पदार्थना ज्ञानने विषे ज्ञानना अंश छे। तिहां नयनुं लक्षण कहे छे। अनंत धर्मात्मक जे वस्तु एटले जीवादिक एक पदार्थमां अनंता धर्म छे तेनो जे एक धर्म गवेष्यो तो पण अन्य कहेता बीजा अनंता धर्म तेमां रह्या छे तेनो उच्छेद नही अने ग्रहण पण नही। एक धर्मनी मुख्यता करवी ते नय कहिये। ते नयना व्यास कहेता विस्तारथी अनेक भेद छे अने समास कहेता संक्षेपथी बे भेद छे -द्रव्यार्थिक, पर्यायार्थिक। ते रत्नाकरावतारिका ग्रंथथी लखीये छैये। द्रवति द्रोष्यति अदद्रवत् तांस्तान् पर्यायानिति द्रव्यं तदेवार्थः सोऽस्ति यस्य विषयत्वेन स द्रव्यार्थिकः। जे वर्तमान पर्यायने द्रवे छे अने आगामिककाले द्रवशे तथा अतीतकाले द्रवतो हतो ते द्रव्य कहियें तेज छे अर्थ प्रयोजन विषयपणे जेने ते द्रव्यार्थिक कहिये। एटले पर्याय ते जन्य अने द्रव्य ते जनक कह्यो तथा द्रव्य ते ध्रुव अने पर्याय ते उत्पाद विनाशरूप छ। उक्तं च पर्येति उत्पादविनाशौ प्राप्नोतीति पर्यायः, स एवार्थः सोऽस्ति यस्यासौ पर्यायार्थिकः। जे उपजवा विणसवानो परि कहेता नवानवापणे एति कहेता पामे तेज अर्थ प्रयोजन तेने पर्यायार्थिक कहियें। ते द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक ए बे धर्मने द्रव्य तथा पर्याय कहियें। इहां कोइक पुछे जे त्रीजो गुणार्थिक केम कहेता नथी? ते वली रत्नाकरावतारिका मध्ये कह्यो छेगुणस्य पर्याये एवान्तर्भूतत्वात् तेन पर्यायार्थिकेनैव तत्सङ्ग्रहात्। जे गुण ते पर्यायने विषे अंतर्भूत छे ते पर्यायार्थिक मध्येज संग्रह्यो छे। ते पर्याय बे भेदे छे, एक सहभावि बीजो क्रमभावि। तेमां सहभावि ते गुण छे ते पर्यायने विषे अंतर्भूत छे, तिहां द्रव्यपर्यायथी व्यतिरिक्त सामान्य विशेष ए बे धर्म छे माटे सामान्य विशेष बे नय वत्ता केम कहेता नथी? एम कोइ पुछे तेने उत्तर जे द्रव्यपर्यायाभ्यां व्यतिरिक्तयोः सामान्यविशेषयोरप्रसिद्धः। तथाहि द्विप्रकार सामान्यमुक्तमवंतासामान्य तिर्यक्सामान्यं च। तत्रोर्वसामान्यं द्रव्यमेव, तिर्यक्सामान्यं तु प्रतिव्यक्ति सदृशपरिणामलक्षणं व्यञ्जनपर्याय एव। ए पाठथी ऊर्ध्वसामान्य ते द्रव्यनो धर्म छे अने तिर्यक्सामान्य ते पर्यायधर्म छ। विशेषोऽपि वैसादृश्यविवर्तलक्षणं पर्याय एवान्तर्भवति नैताभ्यामधिकनयावकाशः। विशेषपणे अनेक रीतें वर्तवानो लक्षण छे ते पर्यायने विषे अंतर्भाव छे ते माटे भिन्न नयनो अवकाश नथी। ए बे नय मध्येज अंतर्भाव छ। तेमां वली द्रव्यार्थिकना चार भेद छे १ नैगम, २ संग्रह, ३ व्यवहार, ४ ऋजुसूत्र तथा पर्यायार्थिकना त्रण भेद छे १ शब्द, २ समभिरूढ, ३ एवंभूत। ___ [५३] विकल्पान्तरे ऋजुसूत्रस्य पर्यायार्थिकताप्यस्ति। स नैगमस्त्रिप्रकार आरोपांशङ्कल्पभेदाद् विशेषावश्यके तपचारस्य भिन्नग्रहणात् चतुर्विधः। न एके गमा आशयविशेषा यस्य स नैगमः। तत्र चतुःप्रकार आरोपो द्रव्यारोप-गणारोपकालारोप-कारणाद्यारोपभेदात्। तत्र गुणे द्रव्यारोपः पञ्चास्तिकायवर्तनागुणस्य कालस्य द्रव्यकथनं एतद्गणे द्रव्यारोपः। ज्ञानमेवात्मा अत्र द्रव्ये गुणारोपः। वर्तमानकाले अतीतकालारोपोऽद्य दीपोत्सवे वीरनिर्वाणम्, वर्तमाने अनागतकालारोपोऽद्यैव पद्मनाभनिर्वाणम्, एवं षड्भेदाः। कारणे कार्यारोपो बाह्यक्रियाया धर्मत्वं धर्मकारणस्य धर्मत्वेन कथनम्। सङ्कल्पो द्विविध:-स्वपरिणामरूपः कार्यान्तरपरिणामश्च। अंशोऽपि द्विविधो-भिन्नोऽभिन्नश्चेत्यादि शतभेदो नैगमः। ५३] अर्थ- वली विकल्पांतरे ऋजुसूत्र ते पर्यायार्थिकमां पण कह्यो छे। केमके ए विकल्परूप नय छे ते माटे। तेमां नैगमना त्रण भेद छ। १ आरोप, २ अंश, ३ संकल्प तथा विशेषावश्यकमां चोथो भेद पण उपचारपणे कहे छे। नथी एक गमो अभिप्राय जेनो ते नैगमनय कहिये। एटले अनेक आशयी छ। ते नैगमनयना चार भेद छे ते मध्ये आरोपना चार प्रकार छ। १ द्रव्यारोप, २ गुणारोप, ३ कालारोप, ४ कारणाद्यारोप। १तिहां गुणादिकने विषे द्रव्यपणो मानवो ते द्रव्यारोप। जेम वर्तना परिणाम ते पंचास्तिकायनो परिणमन धर्म छे तेने कालद्रव्य कही बोलाव्यो, ए काल ते भिन्न पिंडरूप द्रव्य नथी पण आरोपे द्रव्य कह्यो छे माटे द्रव्यारोप। अने द्रव्यने विषे गुणनो आरोप करवो
SR No.009265
Book TitleSyadvada Pushpakalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitranandi,
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages218
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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