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श्री सिद्धगिरिराज की छत्रछाया में वि.सं. २०६७ वर्ष के जैनशासन शिरताज, दीक्षायुगप्रवर्तक, तपागच्छाधिराज, पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचंद्रसूरीश्वरजी म.सा.के शिष्यरत्न
गुरुगच्छ विश्वासधाम, वर्धमान तपोनिधि, पूज्य आचार्यदेव श्री विजयगुणयशसूरीश्वरजी म.सा.के शिष्यरत्न प्रवचन प्रभावक पूज्य आचार्यदेव श्री विजयकीर्तियशसूरीश्वरजी म.सा. एवं कुलदीपिका पूज्य साध्वीश्री राजनंदिताश्रीजी म.सा.के
सदुपदेशसे धानेरा निवासी मातुश्री चंपाबेन जयंतिलाल दानसुंगभाई अजबाणी धानेरा डायमंडस् परिवार द्वारा आयोजित चातुर्मास में उत्पन्न ज्ञानद्रव्य से इस पुस्तक के प्रकाशन का
पुण्यलाभ लिया गया है।
आपकी श्रुतभक्ति की अनुमोदना ।