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परिचय :
कल्पनियुक्ति कल्पसूत्र की प्रस्तावना है। कल्प अध्ययन की नियुक्ति जिनचरित्र और स्थविरावली को स्पर्श नहीं करती । सिर्फ पर्युषणकल्प के आचार सम्बन्धी सूत्रों का विवरण करती है। नियुक्ति के चार घटक हैं । निक्षेप, एकार्थ, निरुक्त और दृष्टान्त । पर्युषणा शब्द के पर्यायवाची शब्द दस हैं ।
१. परियायववत्थवणा, २. पज्जोसमणा, ३. पागइया, ४. परिवसना ५. पज्जोसणा, ६. पज्जोसवणा, ७. वासावास, ८. पढमसमवसरण, ९. ठवणा और १०. जेट्ठावग्गह । १. 'परियायववत्थवणा अर्थात् पर्यायव्यवस्थापना ।' श्रमण परम्परा में पर्युषणा को
अत्यन्त महत्व प्राप्त है । यहाँ तक की दीक्षा वर्ष की गणना का आधार भी पर्युषणा को माना जाता था । पर्युषणा काल को वर्ष मान कर दीक्षापर्याय की गणना की जाती थी। इसलिए पर्युषणा का पहेला नाम पर्यायव्यवस्थापना है । 'पज्जोसमणा अर्थात् पर्युषमणा ।' चातुर्मास काल में ऋतुबद्ध काल (चातुर्मास अतिरिक्त आठ मास-महिने) के द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव का त्याग किया जाता है, अतः पर्युषणा का दूसरा पर्याय पज्जोसमणा है । 'पागइया अर्थात् प्राकृतिका ।' पर्युषणा गृहस्थ श्रावक के लिये भी समान रूप से
आगध्य है इसलिये पर्यषणा का तीसरा पर्याय पागइया है 'परिवसना अर्थात् समग्रता से एक स्थान में निवास करना ।' चातुर्मास में श्रमण वर्ग विहार का त्याग करते हैं, अतः पर्युषणा का चौथा पर्याय परिवसना है । 'पज्जोसणा' अर्थात् 'पर्युषणा' शब्द का अर्थ पहले कहा जा चुका है । 'पज्जोसवणा अर्थात् पर्युपासना' । चातुर्मास में श्रमण चातुर्मास सम्बन्धी द्रव्य-क्षेत्रकाल-भाव को स्वीकार करते हैं, इसलिये पर्युषणा का छट्ठा पर्याय पर्युपासना है। 'वासावास अर्थात् वर्षावास ।' वर्षाऋतु में श्रमण चार महिनों तक एक स्थान में निवास करते हैं । इसलिये पर्युषणा का सातवाँ पर्याय वासावास है। 'पढमसमवसरण अर्थात् प्रथम समवसरण ।' समवसरण शब्द कई अर्थ में प्रचलित है। एक है-आगमन । वर्षाऋतु में चार महिनों तक एक स्थान में निवास करने हेतु श्रमणों का योग्य क्षेत्र में आगमन होता है । दूसरा है-देशना भूमि । चातुर्मासिक स्थिरता में श्रमण नियमित रूप से उपदेश देते हैं । उसका प्रारम्भ पर्युषणा में होता है। तीसरा है-एकत्र संमीलन । शेषकाल में विभिन्न क्षेत्र में विहार कर रहे श्रमण चातुर्मास में एकत्रित होते हैं । अतः पर्युषणा का आठवाँ पर्याय पढमसमवसरण है ।
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१. सन्दर्भ-क.नि. १-२ ।