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________________ " प्रसिद्ध विद्वान् संस्कृतज्ञ और कोशकार डॉ. नागेन्द्र नाथ बसु कहते हैं, “लेकिन भगवान् पार्श्वनाथ के पूर्वज, जैनों के 22 वें तीर्थङ्कर, भ. नेमिनाथ कृष्ण के चचेरे भाई थे । यदि हम भगवान् कृष्ण की ऐतिहासिकता को मानते हैं, तो इसमें कोई तर्क नहीं है कि जिससे हम उनके समकालीन 22 वें तीर्थङ्कर भगवान् नेमिनाथ को वास्तविक और ऐतिहासिक पुरुष नहीं स्वीकारें । " डॉ. फुहरर कहते हैं, “जैनों के 22वें तीर्थङ्कर भगवान् नेमिनाथ ऐतिहासिक पुरुष के रूप में स्वीकारे गये हैं ।" प्रो. एल. डी. बारनेट का भी यही विचार है । मि. करव कहते हैं, "नेमिनाथ कृष्ण के चचेरे भाई थे। जब जैनों के 22वें तीर्थङ्कर भगवान् कृष्ण के समकालीन थे, तो पाठक शेष 21 तीर्थङ्करों की प्राचीनता की कल्पना अच्छे प्रकार से कर सकते हैं ।” कर्नल टॉड- “मुझे ऐसा लगता है कि चार पृथक् बुद्ध या ज्ञानी पुरुष थे। ईसा पूर्व 1120 में दूसरे (जैनों के 22वें) नेमिनाथ थे।” और कहा कि वे कृष्ण के समकालीन थे । डॉ. हरिसत्य भट्टाचार्य (एम.ए., बी.एल.) को नेमिनाथ की ऐतिहासिकता पर कोई संदेह नहीं है और वस्तुतः वे इस आधार से कृष्ण की ऐतिहासिकता स्थापित करते हैं । वे कहते हैं, "महत्त्वपूर्ण भिन्नताएँ होने पर भी जैन पुराणों में वर्णित कृष्ण कथा वैदिक पुराणों से मूलभूतरूप से समान है।" वे इस विचारधारा के हैं कि जैन संस्करण ब्राह्मण परम्परा से काफी स्वतंत्र है और " जैन पवित्र ग्रन्थों में कृष्णकथा की मौजूदगी बताती है कि महाभारत के कृष्ण विशुद्ध काल्पनिक पुरुष नहीं हो सकते हैं, परन्तु पूर्ण सम्भावनाओं से वे ऐतिहासिक पुरुष थे और एक उच्च भावनात्मक ताकतवर राजा थे।” 20
SR No.009248
Book TitleJain Dharm Prachintam Jivit Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotiprasad Jain
PublisherDharmoday Sahitya Prakashan
Publication Year2011
Total Pages51
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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