SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बड़ा दानी कौन ? वस्तुका त्याग किया जाता है उसे 'दान' कहते हैं और दानमें विधि, द्रव्य, दाता और पात्रके विशेषसे विशेषता पाती हैदानके तरीके, दानमें दी जानेवाली वस्तु, दाताके परिणाम और पानेवालेमें गुण-संयोगके भेदसे दानके फलमें कमी-बेशी होती हैतब इस तात्विक दृष्टिको लेकर तुम क्यों नहीं बतलाते कि इन चारोंमें दान-द्रव्यकी समानता होते हुए भी कौन बड़ा है ? अध्यापकजीके इन प्रेरणात्मक शब्दोंको सुनकर विद्यार्थीको होश आ गया, उसकी स्मृति काम करने लगी और इस लिये वह एक दम बोन पड़ा_ 'इन चारोंमें बड़ा दानी वह है जिसने बेबसीकी हालतमें पड़े हुए बंगालके अकालपीड़ितोंको दो लाख रुपयेका अन्न दान किया है।' अध्यापक-वह बड़ा दानो कैसे है ? जरा समझाकर बतलाओ। और खासकर इस बातको स्पष्ट करके दिखलाओ कि वह घायल सैनिकोंके लिये महमपट्टीका सामान दान करने वाले दानीसे भी बड़ा दानी क्योंकर है ? विद्यार्थी-मांसकी उत्पत्ति प्रायः जीवघातसे होती है । जो मांसका दान करता है वह दूसरे निरपराध जीवोंके पातमें सहायक होता है और इस लिये मानवतासे गिर कर हिंसात्मक अपराधका भागी बनता है, जिससे उसका अपना उपकार न हो कर अपकार होता है । और जिन्हें मांसभोजन कराया जाता है वे भी उस जीवघातके अनुमोदक तथा प्रकारान्तरसे सहायक * अनुग्रहार्थ स्वस्यातिसर्गो दानम् ॥३८॥ विधि-वन्य दातृ-पात्र-विशेषासहिशेषः ॥३६॥ त० स०
SR No.009236
Book TitleAnekant Ras Lahari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1950
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy