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________________ बड़ा दानी कौन ? से पेश किये गये भारी पुरस्कारको भी लेनेमें अपनी असमर्थता व्यक्त की है। ऐसा दयादानी आत्मत्यागी मनुष्य लाखों रुपयोंका दान करनेवाले दानियोंसे कम बड़ा नहीं है, वह उससे भी बड़ा है जो पुरस्कारमें श्राधे राज्यकी घोषणाको पाकर अपनी जानपर खेला हो और ऐसे ही किसी डूबते हुए राजकुमारका उद्धार करनेमें समर्थ होकर जिसने आधा राज्य प्राप्त किया हो। इसी तरह सैनिकों-द्वारा जब लूट-खसोटके साथ कत्लेआम हो रहा हो तब एक राजाकी अभय-घोषणाका उस सयय रुपयोंमें कोई मूल्य नहीं आँका जा सकता-वह लाखों-करोड़ों और अरबों-खबों रुपयोंके दानसे भी अधिक होती है, और इस लिये एक भी रुपया दान न करके ऐप्ती अभय-घोषणा-द्वारा सर्वत्र अमन और और शान्ति स्थापित करनेवालेको छोटा दानी नहीं कह सकते। ऐसी ही स्थिति निःस्वार्थ भावसे देश तथा समाज-सेवाके कार्योंमें दिन-रात रत रहनेवाले और उसीमें अपना सर्वस्व होम देनेवाले छोटी पूँजीके व्यक्तियोंकी है। उन्हें भी छोटा दानी नहीं कहा जा सकता। अभी अध्यापक वीरभद्रजीकी व्याख्या चल रही थी और वे यह स्पष्ट करके बतला देना चाहते थे कि 'क्रोधादि कषायोंके सम्यक् त्यागी एक पैसेका भी दान न करते हुए कितने अधिक बड़े दानी होते हैं। कि इतनेमें उन्हें विद्यार्थीके चेहरेपर यह दीख पड़ा कि 'उसे बड़े दानीकी अपनी सदोष परिभाषापर और अपने इस कथनपर कि उसने बड़े-छोटके तत्वको खूब अच्छी तरहसे समझ लिया है कुछ संकोच तथा खेद होरहाहै, और इस लिये उन्होंने अपनी व्याख्याका रुख बदलते हुए कहा 'अच्छा, अभी इस गंभीर और जटिल विषयको हम यहीं
SR No.009236
Book TitleAnekant Ras Lahari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1950
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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