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बड़ेसे छोटा और छोटेसे बड़ा बतलाओ कि तुम्हारी इस मार्क की हुई बीचकी लाइनको एक विद्यार्थी 'छोटी ही है', ऐसा बतलाता है और दूसरा विद्यार्थी
कहता है कि 'बड़ी ही है' तुम इन दोनों कथनोंको क्या कहोगे ? तुम्हारे विचारसे इनमेंसे कौनसा कथन ठीक है और क्योंकर?
विद्यार्थी दोनों ही ठीक नहीं हैं । मेरे विचारसे जो 'छोटी ही' (सर्वथा छोटी) बतलाता है उसने नीचेकी एकइंची लाइनको देखा नहीं, और जो 'बड़ी ही' (सर्वथा बड़ी) बतलाता है उसने ऊपरकी पांच-इंची लाइन पर दृष्टि नहीं डाली। दोनोंकी दृष्टि एक तरफा होनेसे एकाङ्गी है, एकान्त हैं, सिक्के अथवा ढालकी एक ही साइड (side) को देखकर उसके स्वरूपका निर्णय करलेने. जैसी है , और इसलिये सम्यग्दृष्टि न होकर मिथ्यादृष्टि है जो अनेकान्तदृष्टि होती है वह वस्तुको सब ओरसे देखती हैउसके सब पहलुओंपर नजर डालती है-इसीलिये उसका निर्णय ठीक होता है और वह 'सम्यग्दृष्टि' कहलाती है। यदि उन्होंने ऊपर-नीचे दृष्टि डालकर भी वैसा कहा है तो कहना चाहिये कि वह उनका कदाग्रह है-हठधर्मी है; क्योंकि ऊपर. नीचे देखते हुए मध्यको लाइन सर्वथा छोटी या सर्वथा बड़ी प्रतीत नहीं होती और न स्वरूपसे कोई वस्तु सर्वथा छोटी या सर्वथा बड़ी हुआ करती है।
अध्यापक-मानलो, तुम्हारे इस दोष देनेसे बचने के लिये एक तीसरा विद्यार्थी दोनों एकान्तोंको अपनाता है-'छोटी ही है और बड़ी भी है। ऐसा स्वीकार करता है; परन्तु तुम्हारी तरह अपेक्षावादको नहीं मानता। उसे तुम क्या कहोगे ?
विद्यार्थी थोड़ा सोचने लगा, इतनेमें अध्यापकजी विषयको स्पष्ट करते हुए बोल उठे