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________________ प्रतिक्रमण-आवश्यक ] बीजं प्रतिक्रमण संवत्सरीना दिवसे करवानुं प्रतिक्रमण __ अथवा लघु प्रतिक्रमण - [श्री सद्गुरुदेवनी विनयपूर्वक आज्ञा लईने अथवा तेओश्री बिराजमान न होय तो श्री सीमंधर प्रभुनी आज्ञा लईने प्रतिक्रमण शरू करवू.] पाठ १ लो देव-गुरु-धर्म मंगल मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैनधर्मोऽस्तु मंगलम् ॥ पाठ २ जो दिव्यध्वनि नमस्कार ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमोनमः ॥ -: पाठ ३ जो ब्रह्मचर्य-महिमा पात्र विना वस्तु न रहे, पात्रे आत्मिक ज्ञान; . पात्र थवा सेवो सदा, ब्रह्मचर्य मतिमान. (श्रीमद् राजचंद्रमांथी)
SR No.009232
Book TitlePratikraman Aalochana Samayik Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Mumukshu Mahila Mandal
PublisherJain Mumukshu Mahila Mandal
Publication Year2002
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size52 MB
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