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प्रतिक्रमण-आवश्यक ]
१३ प्रमाण वृद्धि होती है। यह क्रमसे वाचना समाप्त करनेकी छायाका प्रमाण कहा गया है।।११३।। ___ इस प्रकार क्रमसे वृद्धि होनेपर पौष मास तक दो पाद हो जाते हैं। पश्चात् पौष माससे ज्येष्ठ मास तक दो अंगुल ही क्रमशः कम होते जाते हैं, ऐसा जानना चाहिये ।।११४।।
सूत्र और अर्थकी शिक्षाके लोभसे किया गया द्रव्यादिकका अतिक्रमण असमाधि अर्थात् सम्यकत्वादिकी विराधना, अस्वाध्याय अर्थात् शास्त्रादिकोंका अलाभ, कलह, व्याधि और वियोगकौ करता है॥११५॥
विनयसे पढा गया श्रुत यदि किसी प्रकार भी प्रमादसे विस्मृत हो जाता है तो परभवमें वह उपस्थित हो जाता है और केवलज्ञानको भी प्राप्त कराता है ।।११६।।