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________________ (छिपकली), मकोडा आदि का २ वर्ष का जवा, और विततपंखी आदि का ३ मास का अधिक से अधिक आयुष्य जिने श्वरोने देखा है -से कहा है । विक्रमीय १८ वी शताब्दी के इक हस्तलिखित-पत्र में इस विषय का एसा उल्लेख मिलता है तिर्यंच वर्षायु तिर्यंच वर्षायु तिर्यंच वर्षायु mo हाथीका सिंहका व्याघ्रका कच्छप घोडाका वैलका मै सका गायका उंटका १२० बकरी १६ पपैया १०० सियार १३ तोता ६४ बिल्ली १२ सांप १२० ३८० हंस १०० बिच्छु ६ मास ४० सारस ६० कंसारी ४ मास २५ टीली १ जू ४ मास २५ उन्दर २ मच्छ १००० २५ सुसलिया १४ बागुल ५० २५ मुरगा ६० गिरगट १ ५० गला ६० बन्दर ४० २४ कौंच ६० मयूर २४ धुरधु ६ ६ मुरगी ३४ ४० समली ५० भालू (रीछ) ३३ १६ चीवरी ५ गीध ११८ सूरका मृगका गर्द भ गैंडाका कृत्ताका २२ सिंह इस्वी की १३ वी सदी में श्रीहंसदे वरचित — मृगपद शाख ' में कुछ प्राणीओ का आयूष्य इस प्रकार बतलाया है गेंडा उंट ३० वर्ष २० वर्ष कुत्ता १० वर्ष बकरा ९ वर्ष हंस ७ वर्ष मयूर खरगोश १।। वर्ष सूकर १० वर्ष वर्ष Page 193 of 234
SR No.009178
Book TitleJeev Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarvahanvijay
PublisherNarvahanvijay
Publication Year
Total Pages234
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size60 MB
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