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________________ | ४६२ । શ્રી અનુયોગદ્વાર સૂત્ર खंधपएसो २, आगासपएसो वि सिय धम्मपएसो सिय अहम्मपएसो सिय जीवपएसो सिय खंधपएसो ३, जीवपएसो वि सिय धम्मपएसो सिय अहम्मपए सो सिय आगासपएसो सिय खंधपएसो ४, खंधपएसो वि सिय धम्मपएसो सिय अहम्मपएसो सिय आगासपएसो सिय जीवपएसो ५, एवं ते अणवत्था भविस्सइ, तं मा भणाहि- भइयव्वो पएसो, भणाहि- धम्मे पएसे से पएसे धम्मे, अहम्मे पएसे से पएसे अहम्मे, आगासे पएसे से पएसे आगासे, जीव पएसे से पएसे णोजीवे, खंधे पएसे से पएसे णोखधे । एवं वयंत सद्दणयं समभिरूढो भणइ-जं भणसि- धम्मे पएसे से पएसे धम्मे जाव खंधे पएसे से पएसे णोखंधे तं ण भवइ, कम्हा? एत्थ दो समासा भवंति, तं जहा-तप्पुरिसे य कम्मधारए य, तं ण णज्जइ कयरेणं समासेणं भणसि-किं तप्पुरिसेणं किं कम्मधारएणं? जइ तत्पुरिसेणं भणसि तो मा ए वं भणाहि, अह कम्मधारएणं भणसि तो विसेसओ भणाहि- धम्मे य से, पए से य से, से पएसे धम्मे, अहम्मे य से, पएसे य से, से पएसे अहम्मे, आगासे य से, पएसे य से, से पएसे आगासे; जीवे य से, पएसे य से, से पएसे णोजीवे; खंधे य से, पएसे य से, से पएसे णोखधे । एवं वयंत संपयं समभिरूढं एवंभूओ भणइ- जं जं भणसि तं तं सव्वं कसिणं पडिपुण्णं णिरवसेसं एगगहणगहितं देसे वि मे अवत्थू पएसे वि मे अवत्थू । से तं पएसदिट्ठतेणं । से तं णयप्पमाणे । शार्थ :-पएसदिटुंतेणं = प्रटेशन दृष्टांतथी, तण्ण भवइ = ते 6थित नथी,तेम न हो, जो सो = हेते, देसपएसो हेशनो प्रशछ, जहा को दिट्टतो तेनेभाटे हष्टांतछ? दासेण मे = भारा हासे (न।४३), खरो = गधेडो, कीओ = परीक्ष्यो, जइ = भाटे, पंचण्हं = पांय, गोट्ठियाणं = गोहीया मित्रानु, केइ दव्वजाए = 05 द्रव्य (माहारीमुंडीय), सामण्णे = सामान्य डोय, तो जुत्तं = तो युजत वात, वत्तुं = तमाडे, जहा पचण्ह पएसा = पांय प्रदेश छते (पाये द्रव्यमा प्रदेश हो सामान्य डोत तो पाय प्रदेश युति संगतवात ५ तेभ नथी भाटे) ते = भाटे, मा भणाहि = डोनही, पंचण्ह पएसो = पांय प्रशछ, पंचविहो पएसो = पांय प्रअरना प्रदेशछ, भइयव्वा पएसो = प्रदेश मनीय छ, सिय धम्मपदेसो = स्यात्-हायित् धास्तियनो प्रदेश, सिय अधम्मपदेसो = स्यात् अघास्ति अयनो प्रदेश, एवं वयंत उज्जुसुयं = आम डेत सूत्रने, संपति = संप्रति (सभी५) सद्दणओ = शनय, भणइ = मा प्रभाछ, ज भणसि भइयव्वो पदेसो त ण भवइ = प्रदेश म४नीय छ तेभो छो, तेमन डी, ते भइयव्वो पएसो = ते प्रदेश (४नीय शोतो, धम्मे पएसे= धर्म३५४ प्रदेशछ,से पएसे धम्मे = ते ४ प्रदेशधर्मछ (धभत्मि
SR No.008782
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhikabai Mahasati, Artibai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages642
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size12 MB
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