________________
| २१७ |
શ્રી અનુયોગદ્વાર સૂત્ર
(१) मोहथि:-औपशभि:-क्षायि निष्पन्न. (२) मोहयि-औपशभिक्षायोपशभिनिष्पन्न. (3) सौहाय-औपशभि पारिभि निष्पन्न. (४) मोहयि:-क्षायि:-क्षायोपशभिनिष्पन्न. (५) मोहयि-शायि-पारिभि निष्पन. (6) मोहयि:-क्षयोपशभि-पारिभि निष्पन्न. (७) औपशभि:-क्षायि-क्षायोपशमि निष्पन्न. (८) औपशभि:-क्षाथि-पारिभि निष्पन्न. (e) औपशभि:-क्षायोपशभि:-पारिएराभिनिष्पन्न. (१०) क्षायि:-क्षायोपशभि:-पारिएराभिनिष्पन्न. |११ कयरे से णामे उदइए उवसमिए खयणिप्फण्णे ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्त, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खयणिप्फण्णे ॥१॥
कयरे से णामे उदइए उवसमिए खओवसमणिप्फण्णे ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खओवसमणिप्फण्णे ॥२॥
कयरे से णामे उदइए उवसमिए पारिणामियणिप्फण्णे ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए पारिणामिय-णिप्फण्णे ॥३॥
कयरे से णामे उदइए खइए खओवसमणिप्फण्णे ? उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइए खइए खओवसमणिप्फण्णे ॥४॥
कयरे से णामे उदइए खइए पारिणामियणिप्फण्णे ? उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए खइए पारिणामियणिप्फण्णे ॥५॥
कयरे से णामे उदइए खओवसमिए पारिणामियणिप्फण्णे ? उदए त्ति मणूसे खओवसमियाइं इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए खओवसमिए पारिणामियणिप्फण्णे ॥६॥
कयरे से णामे उवसमिए खइए खओवसमणिप्फण्णे ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तंखओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उवसमिए खइए खओवसमणिप्फण्णे ॥७॥
__कयरे से णामे उवसमिए खइए पारिणामियणिप्फण्णे ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए खइए पारिणामियणिप्फण्णे ॥८॥