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________________ प्राकृत-उ ત્રીજું પ્રાભૂત પ્રકાશ ક્ષેત્ર ૮૫ ચંદ્ર-સૂર્યના પ્રકાશ ક્ષેત્ર વિષયક બાર પ્રતિપત્તિઓઃ १ ता केवइयं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति आहिए त्ति वएज्जा ? तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं दीवं एगं समुद्दं चंदिम-सूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगार्सेति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासंति जाव पगासेंति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता अद्भुट्टे (अद्धचउत्थे) दीवे, अद्धचउत्थे समुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासंति जाव पगार्सेति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु - ता सत्तदीवे सत्तसमुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासंति व पगासेंति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता दसदीवे दससमुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासंति जाव पगासेंति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु - ता बारसदीवे बारससमुद्दे चंदिम-सूरया ओभासंति जाव पगासेंति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासंति जाव पगासेंति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु - ता बावत्तरिं दीवे बावत्तरिं समुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासंति जाव पगार्सेति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसयं बायालिसं समुद्दसयं चंदिमसूरिया ओभासंति जाव पगासेंति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु-ता बावत्तरिं दीवसयं बावत्तरिं समुद्दसयं चंदिम-सूरिया ओभासंति जाव पगार्सेति, एगे एवमाहंसु । एगे पुण एवमाहंसु - ता बायालीसं दीवसहस्सं, बायालिसं समुद्दसहस्सं
SR No.008776
Book TitleAgam 16 17 Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajematibai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages526
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size19 MB
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