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देंगे कि इलेक्ट्रिसिटी वास्तवमें क्या चीज़ है." आगन्तुकने बहुत गम्भीरता से कहा:-"बिजली का आविष्कारक एडिसन मैं स्वयं हुँ, परन्तु मैं भी नहीं जानता कि यह वास्तवमें क्या चीज़ है. जो उत्तर आपने दिया है, वही उत्तर में भी देता कि कार्यसे कारण का अनुमान लगा लेना चाहिये." यही उत्तर आत्मा को समझने के लिए भी उपयोगी होगा. शरीरकी समस्त चेष्टाओं का कारण वही है. उसीकी उपस्थिति में आँखें देखती है, कान सुनते है, नाक सूंघती है, जीभ चखती है, पेट पचाता है और हाथ-पाँव चलते है. आत्माके निकल जाने पर मुर्दा निश्चेष्ट हो जाता है. शरीरके हाथ-पाँव, आँख, कान, नाक, जीभ आदि कुछ भी काम नहीं करते. इससे सिद्ध होता है कि शरीरके भीतर जो शक्ति है-चेतना है, वही आत्मा है. तबला गायक की गलती पकड़ लेता है. यदि गाते समय आप चूक गये तो तबला तुरन्त बता देगा. संगीत का वह चौकीदार है. उसी प्रकार तर्क भी सत्य का चौकीदार है. बड़े मियाँ खाने-पीनेके शौकीन थे, एक दिन एक किलोग्राम दूध लाकर बीबीसे कहा:-"जल्दीसे खीर तैयार कर दो. मैने आज एक दोस्तको दावतपर बुलाया है. खीर बढिया बननी चाहिये. बारह बजे तक मैं अपने दोस्त के साथ आऊँगा." मियाँ चले गये. बीबीने खीर पकाई. कैसी बनी है ? यह जाननेके लिए चखने की चेष्टा की तो वह इतनी अधिक स्वादिष्ट लगी की अकेली ही उसे वह साफ कर गई. दोस्तके साथ बारह बजे मियाँ आकर भोजन करने बैठे तो थालीमें खीर न देखकर बीबीसे पूछाः "खीर क्यों नहीं पकाई ?" बीबीः- "कैसे पकाती ? आपका सारा दूधं तो वह बिल्ली पी गई, जिसे आपने घरमें पाल रक्खा है." यह सुनते ही मियाँ घरसे बाहर चले गये. एक बनिया की दूकानसे तराजू
और एक किलोग्रामका बाँट उठा लाये. बिल्ली को तराजूके एक पलड़ेमें बिठाकर तौला. बराबर एक किलोग्राम वजन निकला. उन्होंने बीबी से पूछा:-"यदि यह दूध है तो बिल्ली कहाँ है ? और यदि यह बिल्ली है तो दूध कहाँ है ?"
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