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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आसन्न खतरे से अपनेको बचा लेती है. चींटीमें जो शक्ति है, वह उसके । चैतन्य की शक्ति है. दूसरा उदाहरण कुत्तेका लिया जा सकता है. यदि आप अपने हाथसे उसे रोटीका टुकड़ा दें तो वह निर्भय होकर खायगा-प्रेमसे पूँछ । हिलायगा-अपना सन्तोष प्रकट करने वाली विभिन्न चेष्टायें करेगा, परन्तु यदि उसे आप दिन-भर भूखा रहने दें और उधर रसोई-घर में रोटियाँ बनाकर वहाँसे हट जायें-कहीं छिपकर उसकी चेष्टा देखें तो आपको पता चलेगा कि वही कुत्ता अपनी पूँछ दबा कर चारों ओर नजर घुमाता हुआ भूखको न सह सकनेके कारण धीरे-धीरे रसोईघर में घुसेगा, मुँहमें रोटी दबायेगा और तत्काल वहाँ से भाग जायगा. वहाँ खड़े रहकर खानेकी हिम्मत उसमें नहीं रहेगी. भौंक-भौंक कर दूसरों पर बहादुरी से आक्रमण करने वाले उस कुत्ते में यह कमजोरी कहाँसे आई ? पशुयोनि में भी वह इतना तो समझता ही है कि मैं गलत काम कर रहा हूँ. अगर मेरी चोरी पकड़ी गई तो पूरी मरम्मत हो जायगी. कुत्तेकी यह समझ उसकी आत्मा का सबूत है. जब पत्ते हिलते हैं तो पता लग जाता है कि हवा चल रही है. हवा प्रत्यक्ष नहीं दिखती, फिरभी उसके अस्तित्व से कोई इन्कार नहीं करता, क्योंकि कार्यसे कारणका अनुमान होता है. किसी स्कूल में विज्ञानको प्रदर्शनी देखने के लिए तीन सौ वस्तुओं के आविष्कारक एडिसन भी बदल कर जा पहुँचे, वहाँ छात्रोंसे उन्होंने पूछा-"बिजली क्या है ? छात्र इसका उत्तर नही दे सके. उन्होंने अपने प्रोफेसर से पूछा और प्रोफेसर ने प्रिंसिपलसे. किसीको उत्तर नहीं आया. प्रिंसिपलने स्वयं वहाँ आकर आगन्तुक दर्शकसे कहा:- "देखिये, बिजली की शक्तिसे सारे कार्य होते है, पंखा चलता है-लाइट जलती है-हीटर जलता है-बहुतसी मशीनें सक्रिय हो जाती है. इस प्रकार कार्यसे कारण का अनुमान लगाया जा सकता है, परन्तु बिजली को प्रत्यक्ष हमने नहीं देखा. एक लाख छियासी हजार मीलकी गति से वह वायरके भीतर दौड़ती है, परन्तु दिखाई नहीं देती. आप अपना पता नोट करा दीजिये, क्योंकि इलेक्ट्रिसिटी क्या चीज़ है ? यह हम नहीं जानते. इसके आविष्कारक मिस्टर एडिसन है. उनसे पूछकर हम आपको फोन से यह सूचित कर ३० For Private And Personal Use Only
SR No.008738
Book TitleSanshay Sab Door Bhaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages105
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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